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बड़ी संख्या में बैंक होने के बजाय मजबूत बैंकों की ज्यादा जरूरत : अरुण जेटली

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के मुद्दे पर जल्द ही एक विशेषज्ञ समूह का गठन करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में बैंक होने के बजाय मजबूत बैंकों की ज्यादा जरूरत है।
NDTV Profit हिंदीReported by Bhasha
NDTV Profit हिंदी07:38 PM IST, 05 Mar 2016NDTV Profit हिंदी
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सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के मुद्दे पर जल्द ही एक विशेषज्ञ समूह का गठन करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में बैंक होने के बजाय मजबूत बैंकों की ज्यादा जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अनुमानित करीब 8 लाख करोड़ रुपये की कर्ज में फंसी आस्तियों की समस्या से निपटने के लिए ऋण वसूली न्यायधिकरणों और वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन (सरफेसी) कानून को मजबूत करने के अलावा सरकारी बैंकों के कर्मचारियों के लिए कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईसॉप) पर भी विचार कर रही है।

'ज्ञान संगम' के द्वितीय संस्करण के समापन पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि बैठक में बैंकिंग क्षेत्र के सुदृढीकरण पर चर्चा की गई। बैंकरों ने इसमें सुझाव दिया है कि इस मुद्दे को देखने के लिए जल्द ही एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाना चाहिए।

जेटली ने कहा, हम इस सुझाव पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि देश को बड़ी संख्या में बैंकों से ज्यादा मजबूत बैंकों की जरूरत है। ये बड़े बैंक होने चाहिए जो स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। ज्ञान संगम में बैंकिंग क्षेत्र के सुदृढीकरण के विचार को पुरजोर समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि बैठक में सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों को ईसॉप से पुरस्कृत करने का भी सुझाव दिया गया।

जेटली ने कहा, सरकार इस पर (ईसॉप) विचार कर रही है। काम काफी आगे बढ़ चुका है। यह मांग लंबे समय से रही है और इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बढ़ती गैर-निष्पादित आस्तियों के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार संस्थागत व्यवस्था मजबूत करने के अलावा क्षेत्र विशेष के लिए निर्णय करती रही है जिससे कि बिजली, राजमार्ग, चीनी और इस्पात जैसे खंडों में समस्याओं से निपटा जा सके।

सम्मेलन में हुई परिचर्चा का ब्योरा देते हुए जेटली ने कहा कि सरफेसी कानून में संशोधन और डीआरटी प्रक्रिया में तेजी लाने के भी सुझाव दिए गए हैं। उन्होंने कहा, वित्तीय सेवा विभाग उस दिशा में काम कर रहा है और काम काफी अग्रिम चरण में है। डीआरटी देश की पहली ऑनलाइन अदालत बन जाएगी।

मंत्री ने कहा, हम दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह एक ढांचागत एवं संस्थागत व्यवस्था का निर्माण करेगा जिससे ऋण दाता के तौर पर बैंकों को मदद मिलेगी। बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए की स्थिति पर जेटली ने कहा कि बैंक संकटग्रस्त ऋणों की वसूली के कदम उठा रहे हैं। जहां तक वसूली का संबंध है, वसूली के संबंध में जो भी कदम उठाए गए हैं, बैंकों के पास डीआरटी, एसडीआर के जरिए वसूली के विभिन्न अधिकार हैं। न तो किसी का कर्ज माफ किया गया है और न किया जाएगा।

जेटली ने कहा कि मौजूदा वैश्विक वातावरण में बैंकों को सभी उपाय करने होंगे जिससे उनकी बैलेंस शीट दुरुस्त हो सके। वहीं कुछ क्षेत्र विशेष में सरकार को निर्णय करने की जरूरत है। इनमें बिजली, राजमार्ग, चीनी और इस्पात क्षेत्र से जुड़े निर्णय शामिल हैं।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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