ब्लैक मनी के मसले पर एनडीए सरकार के रुख को लेकर उठ रहे सवालों के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में अहम एलान कर दिया। जेटली ने अपने बजट भाषण में ब्लैक मनी के ख़िलाफ़ सख्त कानून बनाने की घोषणा कर दी।
जेटली ने आगे बढ़ते हुए संसद को आश्वासन भी दे दिया कि सरकार नया कानून बजट सत्र के दौरान ही पेश करेगी। इस प्रस्तावित कानून में टैक्स चोरी पर 10 साल तक की क़ैद का प्रावधान होगा और आरोपियों को सेटलमेंट आयोग के पास जाने की इजाज़त नहीं होगी। अहम बात यह है कि प्रस्तावित कानून में आय छुपाने की हालत में 300 फ़ीसदी तक जुर्माना भरने का प्रावधान भी शामिल होगा।
उद्योग जगत ने वित्तमंत्री के इस पहल का स्वागत किया है। बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण शॉ मजूमदार ने एनडीटीवी से कहा कि यह अच्छा फैसला है और देश में नियमों और कानूनों को पारदर्शी बनाना ज़रूरी है।
हालांकि कुछ उद्योगपतियों ने आगाह किया है कि इस प्रस्तावित कानून को दुरुपयोग ना हो ये सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है। सीआईआई के प्रेसिडेंट-डेज़िगनेट सुमित मजूमदार ने एनडीटीवी से कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल ना हो ये सुनिश्चित करना बोहद ज़रूरी है।
दरअसल भारत सरकार की नज़र ख़रीद-बिक्री के तौर-तरीक़ों पर भी है। अब 20,000 से ऊपर की नगद ख़रीद नहीं हो सकेगी। यही नहीं, एक लाख से ऊपर के सौदे पर पैन ज़रूरी होगा। और बेनामी लेनदेन रोकने के लिए अलग से एक क़ानून बनेगा।
हाल के दिनों में ब्लैक मनी के मसले पर सरकार के रुख को लेकर सवाल उठते रहे हैं और पिछले चुनावों में किए गए वायदों के मुताबिक कार्रवाई ना करने के आरोप भी लगते रहे हैं। इस प्रस्तावित कानून का एलान कर वित्तमंत्री ने इन सवालों को कमज़ोर करने की कोशिश की है। अब सरकार के सामने अगली चुनौती इस संवेदनशील मसले पर प्रस्तावित कानून के प्रारूप पर राजनीतिक सहमति बनाने की होगी।