कृषिमंत्री शरद पवार ने बुधवार को कहा कि 52,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी योजना में धन का दुरुपयोग नहीं हुआ। उन्होंने मामले की और साफ तस्वीर सामने लाने के लिए योजना की विस्तृत लेखा परीक्षा करने को कहा।
पवार ने कहा कि लेखापरीक्षा में जो नमूना लिया गया, वह काफी छोटा था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को बड़ी संख्या में ऐसे खातों की जांच करनी चाहिए।
पवार ने कहा, ‘‘भारत सरकार ने निर्णय किया और पैसा बैंकों को भेजा गया। रिजर्व बैंक तथा नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) की निगरानी में बैंकों ने खातों तथा लाभार्थियों की सूची का चयन किया। पैसा सीधे खातों में भेजा गया। ऐसे में गड़बड़ी का सवाल कहां उठता है।’’
कैग रिपोर्ट में योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी के खुलासे के बाद मंत्री का यह बयान आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हजारों लाभार्थी योग्य नहीं थे जबकि जो योग्य थे, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला।
हालांकि, पवार ने बैंकों द्वारा तैयारी सूची में योजना के तहत पात्र कुछ किसानों का नाम शामिल नहीं होने तथा अपात्र किसानों को योजना का लाभ मिलने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया।