रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईटीसी, एचयूएल तथा टाटा स्टील सहित देश की 50 प्रमुख यानी ब्लूचिप कंपनियों के पास पड़े कम से कम 530 करोड़ रुपये के लाभांश का कोई दावेदार नहीं है।
कंपनियों द्वारा अपने निवेशकों के लिए घोषित लाभांश का भुगतान घोषणा के 30 दिन में करना होता है। अगर इस दौरान भुगतान नहीं होता है तो उक्त लाभांश को 'दावेदार नहीं वाले लाभांश खाते' में अगले सात दिन में डालना होता है।
इसी तरह इस खाते में सात साल तक बिना दावे के पड़ी राशि को बाद में निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में डालना होता है।
देश की 50 प्रमुख (ब्लू चिप) कंपनियों की सालाना रपटों के विश्लेषण से पता चलता है कि 35 कंपनियों के खातों में बीते वित्त वर्ष के आखिर तक इस मद में लगभग 530 करोड़ रुपये पड़े थे। बाकी 15 कंपनियों ने उस लाभांश की राशि नहीं बताई है जिसका कोई दावेदार सामने नहीं आया।
अलग-अलग कंपनियों को देखा जाए तो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास बिना दावेदार वाले बिना भुगतान किए लाभांश की कुल 31 मार्च 2012 को 129 करोड़ रुपये की राशि पड़ी थी। आईटीसी के पास इस मद में 80.76 करोड़ रुपये, एचयूएल के पास 53.07 करोड़ रुपये, टाटा स्टील के पास 45.81 करोड़ रु, हीरो मोटोकार्प के पास 43.09 करोड़ रुपये थे।
कंपनियां अपने सालाना लाभांश की घोषणा सालाना आम बैठकों में करती हैं और निवेशकों को इसका भुगतान उसके बाद 30 दिन में करना होता है।