प्याज की सीमित आपूर्ति और रमजान की मजबूत मांग के कारण प्याज कीमतें ढाई साल के उच्चतम स्तर 24 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई है।
एशिया के प्याज के सबसे बड़े थोक बाजार महाराष्ट्र के लासालगांव में प्याज की कीमत आज पिछले वर्ष के ठीक इसी समय के मुकाबले लगभग पांच गुना बढ़कर 24 रुपये प्रति किलो हो गई, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि देशभर में खुदरा कीमतों में तेजी आएगी।
दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 30 से 35 रुपये प्रति किलो है और ऐसी आशंका है कि थोक मूल्य में तेजी के कारण खुदरा कीमतों में जबर्दस्त तेजी आएगी।
सरकारी शोध निकाय एनएचआरडीएफ द्वारा रखे जाने वाले आंकड़ों के अनुसार, लासालगांव में प्याज की थोक कीमत आज 24 रुपये प्रति किलो रही, जो एक वर्ष पूर्व इसी समय 4.70 रुपये प्रति किलो थी।
लासालगांव में दिसंबर जनवरी 2011 के दौरान राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जाने वाले प्याज की थोक कीमत इस स्तर से भी आगे 38 रुपये प्रति किलो हो गया था। उस समय प्याज की खुदरा कीमतें देशभर में 100 रुपये प्रति किलो हो गई थी, जिसके बाद सरकार को निर्यात रोकने के लिए बाध्य होना पड़ा था।
व्यापारियों और विशेषज्ञों के अनुसार, सितंबर तक प्याज की थोक कीमत मजबूत रहने की उम्मीद है, क्योंकि बरसात के कारण आपूर्ति प्रभावित है और किसान भी आगे बेहतर कीमत मिलने की आस में अपने स्टाक को रोक रहे हैं।
दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 30.35 रुपये प्रति किलो चल रही है और लासालगांव में थोक कीमतों में आगे और वृद्धि के साथ कीमतों में आगे और तेजी आने की संभावना है।
नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी शोध विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बरसात के कारण आपूर्ति प्रभावित हुई है। कीमतों पर कुछ दबाव अपेक्षित है। उपभोक्ताओं को सितंबर के बाद से नई फसल शुरू होने तक प्याज का विवेकपूर्ण ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्याज के उत्तरी क्षेत्र की किस्मों की ताजा आवक समाप्त हो चुकी है और मौजूदा समय में मांग को गोदामों में रखे पुराने स्टाक से पूरा किया जा रहा है।
एनएचआरडीएफ ने कहा कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान से बाजार में नई फसल की आवक सितंबर से शुरू होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर इस वर्ष प्याज का उत्पादन सामान्य यानी 1.5 से 1.6 करोड़ टन होने की उम्मीद है।
उपभोक्ता पहले से महंगे टमाटर मार झेल रहे हैं जिसकी कीमत 50.60 रपये प्रति किलो है। उत्पादक राज्यों में भारी बरसात के कारण आपूर्ति बाधित होने से यह स्थिति बनी है।