सरकार ने बुधवार को कहा कि देश में गरीबों की संख्या वर्ष 2004-05 के 40.74 करोड़ लोगों से घटकर 2011-12 में 27 करोड़ रह गई।
योजना और संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि इस संबंध में ताजा आंकड़े एनएसएसओ द्वारा परिवारों के उपभोग व्यय पर 2011-12 में किए गए 68वें दौर के नमूना सर्वेक्षण में सामने आए हैं।
शुक्ला ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया, 'योजना आयोग के अनुमान के अनुसार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या वर्ष 2011-12 में कम होकर 27 करोड़ रह गई। यह संख्या 2004-05 में 40.74 करोड़ पर थी।' देश में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गरीबी के बारे में अनुमान लगाने के लिये योजना आयोग शीर्ष एजेंसी है। इस संबंध में सर्वे आमतौर पर पांच साल के आधार पर किया जाता है।
वर्ष 2011-12 में लगाए गए अनुमान के अनुसार गरीबों की सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश में 5.98 करोड़ रही। इसके बाद 3.58 करोड़ लोगों के साथ बिहार, 2.34 करोड़ मध्यप्रदेश में, 1.97 करोड़ महाराष्ट्र में और 1.84 करोड़ लोग महाराष्ट्र में गरीब थे।
शुक्ला ने बताया कि योजना आयोग ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों का अनुमान उनके मासिक प्रति व्यक्ति खपत के आधार पर लगाया है और इस संबंध में स्वर्गीय प्रो. सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में 2005 में विशेषज्ञ समूह गठित किया गया था। इस समिति ने वर्ष 2011-12 के लिए प्रतिव्यक्ति मासिक खपत ग्रामीण क्षेत्रों के लिये 816 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,000 रुपये रखने की सिफारिश की थी।