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हर पेट्रोलियम मंत्री को धमकाती हैं तेल लॉबी : मोइली

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने शुक्रवार को कहा कि आयात लॉबियां मंत्रियों को धमकाकर देश की ऊर्जा अन्वेषण गतिविधियों को पटरी से उतारने में लगी हुई हैं। वे चाहती हैं कि तेल और गैस के लिए आयात पर देश की निर्भरता तथा नौकरशाही की बाधाएं बरकरार रहें।
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NDTV Profit हिंदी01:53 AM IST, 15 Jun 2013NDTV Profit हिंदी
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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने शुक्रवार को कहा कि आयात लॉबियां मंत्रियों को धमकाकर देश की ऊर्जा अन्वेषण गतिविधियों को पटरी से उतारने में लगी हुई हैं। वे चाहती हैं कि तेल और गैस के लिए आयात पर देश की निर्भरता तथा नौकरशाही की बाधाएं बरकरार रहें।  

मोइली ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "जो भी मंत्री इस पद पर रहे, उन्हें धमकाया गया है। नौकरशाही की तरफ से देरी की जाती है और बाधाएं पैदा की जाती हैं तथा अन्य लॉबियां भी नहीं चाहतीं कि हम आयात बंद कर दें।" उन्होंने हालांकि कहा, "मोइली को धमकाया नहीं जा सकता।" उन्होंने कहा कि "देश तेल और गैस के समुद्र पर तैर रहा है, लेकिन धमकियों और बाधाओं के कारण हम इसकी खोज नहीं कर पा रहे हैं।"

आंकड़ा दर्शाता है कि सरकार की नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति के तहत नौ दौर की गतिविधियां चलने के बाद भी लगभग 80 फीसदी क्षेत्र में अन्वेषण का गहन कार्य किया जाना अभी बाकी है।

मोइली ने कहा कि यदि इसी तरह आयात जारी रहा तो देश को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए तकरीबन 100 फीसदी तेल और गैस आयात करनी होगी। उन्होंने कहा, "आयात लॉबियां निर्णय लेने की प्रक्रिया में बाधा डालकर देश को नुकसान पहुंचाती हैं। हमारे देश का सारा अर्जित धन तेल के आयात के कारण बाहर चला जाता है। इसे जारी नहीं रखा जा सकता, इसे रोकना ही होगा।"

यह जिक्र करते हुए कि पिछले चार-पांच वर्ष में निवेश की भावना में कमी आने के कारण अनवेषण की गतिविधि बढ़ने के बजाय हतोत्साहित हुई है, मोइली ने रेखांकित किया कि इसके लिए उचित सक्षम उत्पादकों की जरूरत है। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, "हमें ठेके के मामले में उचित मूल्य देना होगा।" उन्होंने कहा कि आयात पर इस तरह की उच्चस्तरीय निर्भरता का अर्थ है कि देश को  हमेशा अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों की अनियमितता की चुनौती मिलती रहेगी, जैसा कि डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन जैसे कारकों के चलते स्थिति जटिल हो जाती है।

मोइली ने कहा कि उन्होंने कैबिनेट की आर्थिक मामले की समिति में प्रस्ताव रखा है कि देश में उत्पादित गैस का मूल्य जो इस समय 4.2 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट है, उसे बढ़ाकर 6.7 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट किया जाए।

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