गवर्नर रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक में अपने तीन साल के कार्यकाल को ‘बहुत ही अच्छा’ बताते देते हुए आज कहा कि उनके बारे में आलोचकों के त्वरित टिप्पणियों का कोई महत्व नहीं है क्योंकि उन्होंने केंद्रीय बैंक के प्रमुख के रूप में कुछ उपयोगी योगदान किए हैं और उनका नतीजा अगले 5-6 साल में दिखेगा.
उन्होंने बात बात पर आलोचना या प्रशंसा करने वालों की बातों को कोई खास महत्व न देते हएु कहा कि कुछ ऐसे लोग भी है जो मुझे उस समय भी ‘शुक्रिया का गुमानम संदेश’ भेजते हैं जब में विमान में होता हूं.
राजन ने अपनी कार्यकाल की आखिरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए यहां कहा, त्वरित निर्णय (टिप्पणी) आलोचकों की हो या प्रशंसकों की, उसका कोई खास महत्व नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि दीर्घकाल में देश की मजबूत तथा टिकाऊ वृद्धि, रोजगार सृजन और देश को मध्यम आय वर्ग के देशों की कोटि में पहुंचने में इन पहलों की कैसी भूमिका रही है.
उन्होंने कहा, ये चीजें आप अगले पांच-छह साल में लाभ के साथ ही देख सकेंगे और यह जान सकेंगे के कि ये उचित थीं या नहीं. हमारे विचार से परिस्थितियों के अनुरूप आरबीआई में हमने जो कदम उठाए हैं वे उचित थे और उचित हैं.’’ भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शुरुआत में ब्याज दर उच्च स्तर पर बनाए रखने के लिए राजन की अलोचना की है. स्वामी का कहना है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था विशेष तौर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम क्षेत्र को नुकसान हुआ है. राजन का तीन साल कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो रहा है.
उन्होंने कहा, लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन हमें देखना है. खीर का स्वाद तो खाने से मिलता है. देखते हैं कि अगले पांच-छह साल में इसका क्या असर रहता है और तब हम राय बना सकेंगे कि यह अच्छा है या बुरा है.
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