ADVERTISEMENT

आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया

मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबद्ध आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर को आज अपरिवर्तित रखा, लेकिन एसएलआर को 0.5 प्रतिशत घटा कर 22.5 प्रतिशत पर कर दिया।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी01:32 PM IST, 03 Jun 2014NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबद्ध आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दर को आज अपरिवर्तित रखा, लेकिन एसएलआर को 0.5 प्रतिशत घटा कर 22.5 प्रतिशत पर कर दिया।

सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) बैंकों के पास मांग और सावधि जमाओं का वह न्यूनतम अनुपात हैं, जिसे उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करना होता है और इसका प्रबंध रिजर्व बैंक के नियंत्रण में रहता है।

एसएलआर में आधा प्रतिशत की कमी से बैंकों के पास 40,000 करोड़ रुपये की और नकदी आ जाएगी, जिसका इस्तेमाल वे कर्ज देने के लिए कर सकते हैं।

यह लगातार दूसरा मौका है जबकि वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर रेपो को आठ प्रतिशत के स्तर पर स्थिर रखा है। उद्योग एवं व्यवसाय जगत इसमें कमी की मांग कर रहा था ताकि बैंकों का कर्ज सस्ता हो और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़े। रेपो वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को तात्कालिक जरूरत के लिए नकदी उधार देता है। एसएलआर में कमी 14 जून से प्रभावी होगी।

केंद्रीय बैंक ने आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) को भी चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है। सीआरआर बैंकों में जमा राशि का वह हिस्सा है, जो उन्हें रिजर्व बैंक के पास रखना होता है और इस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता।

आरबीआई गवर्नर राजन ने यहां 2014-15 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति जारी करते हुए कहा, फिलहाल नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखना और सितंबर 2013-जनवरी 2014 के बीच ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी के अपस्फीतिक प्रभावों को अपना काम करने देना उचित रहेगा ताकि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीतिक दबाव कम हो सके। सितंबर 2013 से खाद्य और ईंधन वर्ग को छोड़कर बाकी वर्ग की वस्तुओं के खुदरा मूल्य संचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में धीरे-धीरे कमी आ रही है हालांकि यह अभी काफी ऊंची है।

पिछले दिनों तीन बार रेपो दरों में बढ़ोतरी करने वाले राजन ने आने वाले दिनों की संभावनाओं के संबंध में कहा कि यदि मुद्रास्फीति में कमी का यह सिलसिला बना रहा तो ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की कोई जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यदि मुद्रास्फीति में कमी की प्रक्रिया अनुमान से अधिक तेजी से हुई तो आरबीआई ब्याज दरों में भी कटौती पर भी विचार कर सकता है।

राजन खुदरा मुद्रास्फीति को जनवरी 2015 तक आठ प्रतिशत पर और सालभर बाद इसे छह प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य पर कायम हैं। उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2014 में बढ़कर 8.59 प्रतिशत हो गई। वृद्धि के संबंध में राजन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा का उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा था। क्योंकि माना जा रहा है कि भाजपा नीत सरकार सुधार समर्थक है।

आरबीआई के गवर्नर ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के वित्त मंत्री का पद ग्रहण करने के दिन उनसे मुलाकात की थी और वृद्धि दर के आंकड़े जारी होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी। वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत रही जो 2012-13 में 4.5 प्रतिशत थी।

राजन ने निर्यात ऋण के लिए पुनर्वित्त सुविधा के लिए उपलब्ध कराई जा रही नकदी की मात्रा को बकाया निर्यात ऋण के 50 प्रतिशत से घटाकर 32 प्रतिशत करने की घोषणा की। हालांकि इसकी क्षतिपूर्ति के लिए निर्यात ऋण देने वाले बैंकों के लिए विशेष आवधिक रेपो सुविधा उनकी कुल मांग और सावधिक देनदारियों के 0.25 प्रतिशत के बराबर कर दी गई है।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT