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RBI ने पेश की मौद्रिक नीति की समीक्षा : ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कयासों के अनुकूल मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया। रेपो रेट बिना बदलाव के 6.50 फीसदी बरकरार रखी।
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NDTV Profit हिंदी02:02 PM IST, 07 Jun 2016NDTV Profit हिंदी
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कयासों के अनुकूल मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा पेश करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया। रेपो रेट बिना बदलाव के 6.50 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी बरकरार रहेगी। आरबीआई ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है और ये 4 फीसदी पर कायम है। एमएसएफ यानी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर भी 7 फीसदी पर बरकरार है।

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दूसरे टर्म पर सवाल किए जाने पर क्या बोले राजन
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कयास लगाए जा रहे थे कि महंगाई बढ़ने के संकेतों और वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल के बढ़ते दामों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक आज नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रख सकता है। विशेषज्ञों का मानना था कि किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले आरबीआई चाहेगा कि वह पहले मॉनसून की दशा और दिशा को समझ ले। यहां बता दें कि मौसम विभाग ने पहले ही कहा है कि इस साल मॉनसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहेगा।

'डॉलर और रुपया दोनों की तरलता पर नजर रखेंगे'
घोषणा के दौरान रघुराम राजन ने कहा, 'हम डॉलर और रुपया, दोनों, की तरलता पर नजर रखेंगे और उसी के अनुरूप कदम उठायेंगे। रिजर्व बैंक जल्दी ही बैंकों द्वारा कर्ज की सीमांत लागत दर के ढांचे के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगा। हालांकि यह भी कहा गया कि अप्रैल के मुद्रास्फीति आंकड़े से इसकी भावी दिशा कुछ अनिश्चित है।

'सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में समय पर पूंजी डालना अहम'
रिजर्व बैंक ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और सातवें वेतन आयोग के लागू होने पर मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का जोखिम है। आरबीआई ने कॉरपोरेट मुनाफे और खपत में बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए 2016-17 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रिजर्व बैंक ने कहा कि मौद्रिक नीति तालमेल बिठाने वाली बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार है। कर्ज के प्रवाह को बेहतर रखने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में समय पर पूंजी डालना अहम है।  सार्वजनिक निवेश में मजबूती आ रही है लेकिन निजी निवेश में लगातार कमजोरी चिंता की बात है। आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज करने के लिये ब्याज दरों का लाभ आगे पहुंचाना काफी अहम है।


(इनपुट न्यूज एजेंसी भाषा से भी)
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