भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आम निवेशकों से अवैध रूप से धन (जमाएं) जुटाने पर उसी समय काबू पाने की जरूरत है जब यह अपराध हो रहा हो, क्योंकि ऐसी कंपनियां पैसा जुटा लेने के बाद चालाकी से 'रातों रात गायब' हो जाती हैं.
राजन ने एक कार्य्रकम में कहा, 'रातों रात गायब होने वाली कंपनियां पैसा लेकर भाग जाएं, उससे पहले ही हमें इससे निपटना चाहिए. हमें ऐसे अपराध होते समय ही उसे रोकना होगा.' इस अपराध से निपटने में चुनातियों को रेखांकित करते हुए राजन ने कहा कि अनेक परिचालक या फर्म किसी भी नियामक के दायरे में नहीं आते, वे बहुत छोटे हैं या दूरदराज के इलाकों में परिचालन करते हैं, जिससे दंडात्मक कार्रवाई करना कठिन हो जाता है. उन्होंने इस तरह की फर्मों पर लगाम लगाने के लिए वित्तीय नियामकों व प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत पर जोर दिया.
राजन ने कहा कि जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण कानून जैसे कानूनों में अनुकूल बदलाव तथा राज्य स्तरीय समन्वय समिति जैसे मंचों के चलते अनाधिकृत रूप से जमाएं जुटाने के अपराध के खिलाफ लड़ाई में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह अधिकार मिला है कि वे धन हड़पने या उसका दुरुपयोग करने से पहले ही हस्तक्षेप कर सकें. इसके साथ ही उन्होंने आम लोगों से ऐसी फर्मों के चक्कर में नहीं आने की अपील की.
इसके साथ ही राजन ने लोगों से याद रखने को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक किसी तरह के रिटर्न या धन का वादा करने वाले ईमेल नहीं भेजता है.
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