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रियल एस्टेट बिल 2016 : मकान खरीदने वालों के हितों की सुरक्षा यह कैसे करता है, जानें

राज्यसभा ने रियल एस्टेट (रेग्यूलेशन एंड डेवेलपमेंट) बिल 2016 कैसे खरीददारों के हितों की सुरक्षा करता है, हमने इस बारे में प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ग्रुप जेएलएल इंडिया के लोकल डायरेक्टर (स्ट्रेटिजिक कंसल्टिंग ग्रुप) सचिन गुलाटी से बात की। आइए जानें:
NDTV Profit हिंदीReported by Pooja Prasad
NDTV Profit हिंदी08:54 AM IST, 01 May 2016NDTV Profit हिंदी
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राज्यसभा ने रियल एस्टेट (रेग्यूलेशन एंड डेवेलपमेंट) बिल 2016 गुरुवार को पारित कर दिया। इस बिल में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है। 2013 से लंबित इस विधेयक के पारित होने से पहले सरकार ने राज्यसभा की प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए संशोधनों को स्वीकार किया। यह बिल न सिर्फ खरीददारों के हितों की सुरक्षा करता है बल्कि डेवलपरों और बिल्डरों के लिए भी फायदेमेंद होगा।

हमने इस बारे में प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ग्रुप जेएलएल इंडिया के लोकल डायरेक्टर (स्ट्रेटिजिक कंसल्टिंग ग्रुप) सचिन गुलाटी से बात की। उन्होंने बताया कि कैसे यह घर-प्रॉपर्टी खरीदने वालों के हितों को सुरक्षित करता है। आइए जानें:

- बिल में महत्वपूर्ण बात यह कही गई है कि डेवलेपर जो पैसा उपभोक्ताओं से लेते हैं, उस राशि का 70 फीसदी हिस्सा उन्हें अलग से बैंक में रखना होगा। इसका इस्तेमाल वह केवल और केवल निर्माण कार्यों में ही कर सकता है। शेष बची राशि का इस्तेमाल वह अन्य कामों के लिए कर सकता है। पहले बिल्डर इस पैसे का इस्तेमाल अपने दूसरे कामों या प्रॉजेक्ट्स में कर लेता था जिसके चलते प्रॉजेक्ट विशेष में देरी हो जाती थी।

- बिल्डर यदि ऐसे प्रॉजेक्ट्स को कस्टमर को बेचते हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं तो उनके प्रॉजेक्ट पर पैनल्टी लगेगी।

- यह बिल कर्मशल और रेजिडेंशल दोनों ही प्रकार के प्रोजेक्ट्स/प्रॉपर्टी पर लागू होगा और पैसे के लेन-देन पर पूरी नजर रखी जाएगी। ऐसे में यदि दुकान आदि के लिए स्पेस ले रहे हैं तो आपके हितों की रक्षा भी इस बिल के दायरे में होगी।

- रियल एस्टेट एजेंट्स भी रेगुलेटरी अथॉरिटी के साथ रजिस्टर होंगे। ऐसे में एजेंट्स के हाथों धोखाधड़ी की संभावना कम से कम होगी। एजेंट्स केवल वे ही प्रॉजेक्ट्स बेच पाएंगे जोकि रजिस्टर्ड होंगे।

- इस बिल के लागू होने के बाद एक फायदा यह होगा कि डेवलेपर की प्रॉजेक्ट संबंधित गतिविधियों में ट्रांसपैरेंसी रहेगी। पहले खऱीददार केवल वही जान पाता था जो उसे बिल्डर द्वारा बताया जाता था। लेकिन अब अथॉरिटी की वेबसाइट के माध्यम से प्रॉजेक्ट से संबंधित वे सभी जरूरी और मामूली व महत्वूपर्ण जानकारी खरीददार पा सकेगा, जिनके जानकारी के लिए वह अब तक केवल प्रॉजेक्ट निर्माता पर निर्भर था।

-प्रॉजेक्ट में तब तक कोई बदलाव नहीं किया जा सकता जब तक की खरीददार की अनुमति न हो।

-नियमों का उल्लंघन करने पर पेनल्टी और जेल की सजा तक का प्रावधान है।

- राज्य स्तर पर रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। खरीददार की शिकायतों का निपटारा राज्य स्तर पर गठित की जाने वाली अथॉरिटी द्वारा किया जाएगा।
 

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