रिलायंस पॉवर को बोली प्रक्रिया के बाद दी गई रियायत की तीखी आलोचना करते हुए सरकारी लेखा-परीक्षक कैग ने कहा है कि सासन बिजली संयंत्र के लिए आवंटित कोयला खान के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल समूह की ही दूसरी परियोजनाओं में करने की अनुमति देने से अनिल अंबानी समूह की रिलायंस पॉवर को 29,033 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ।
कैग की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस पॉवर लिमिटेड को 4,000 मेगावाट के सासन अल्ट्रा मेगा बिजली संयंत्र का ठेका दिए जाने के बाद सरकार ने कंपनी को परियोजना से जुड़ी तीन खानों के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल समूह की मध्य प्रदेश स्थित चितरंगी परियोजना के लिए करने की अनुमति दे दी।
रिपोर्ट में कहा गया है, सबसे कम शुल्क वाली बोली के आधार पर कंपनी को ठेका देने के बाद उसी कंपनी की दूसरी परियोजनाओं में अतिरिक्त कोयले के इस्तेमाल की अनुमति से पूरी बोली प्रक्रिया दूषित हुई है। यह बोली पश्चात दी गई रियायत की तरह है, जिसका व्यापक वित्तीय प्रभाव होता है।
कैग ने कहा है कि रिलायंस पॉवर की सासन बिजली परियोजनाओं को आवंटित तीन कोयला खानों- मोहेर, अमलोहरी और छत्रसाल ब्लॉक के अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल करने की अनुमति से न केवल बोली प्रक्रिया दूषित हुई है, बल्कि इसके परिणामस्वरुप रिलायंस पॉवर को अनुचित लाभ पहुंचा है।
सरकारी लेखा-परीक्षक की इस रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले के परिणामस्वरुप परियोजना डेवलपर (रिलायंस पॉवर) को 11,852 करोड़ रुपये की शुद्ध मौजूदा कीमत सहित 29,033 करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों से भयवश पलायन कर रही पूर्वोत्तर की जनता के बीच विश्वास पैदा करने की कवायद में संसद के दोनों सदनों ने एक स्वर में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ एकजुटता दिखाई और अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। राज्यसभा ने इस आशय का एक संकल्प भी पारित किया।