देश में जीन संवर्धित (जीएम) सरसों के लिए जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी द्वारा अपनाई गई मूल्यांकन प्रक्रिया को पर चिंता जताते हुए अनेक सेवानिवृत न्यायधीशों और नौकरशाहों का मानना है कि जीईएसी समीक्षा प्रक्रिया का मजाक बना रही है.
उन्होंने निर्णय प्रक्रिया में स्वतंत्र जांच और पारदर्शी सार्वजनिक भागीदारी की मांग की है. पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को लिखे पत्र में सेवानिवृत न्यायधीशों और नौकरशाहों ने जीएम सरसों पर रोक लगाये जाने की मांग की है.
उन्होंने मांग की है कि जैव सुरक्षा आंकड़ों को ऑनलाइन अपलोड किया जाना चाहिये और उसके बाद कम से कम लोगों को अपनी प्रतिक्रिया भेजने के लिए 120 दिनों का समय दिया जाना चाहिये.
इस पत्र में हस्ताक्षर करने वाले लोगों में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष अर्मेती एस देसाई, उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायधीश जस्टिस सुजाता मनोहर, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश जस्टिस सैम एन वरियावा, जस्टिस रूमा पॉल शामिल हैं.