ADVERTISEMENT

छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में संशोधन जल्द: वित्त मंत्रालय

सरकार अगले एक-दो दिन में लघु बचत योजनाओं की ब्याज दर में संशोधन कर सकती है, ताकि उन्हें बाजार दर के अनुरूप किया जा सके। हालांकि, बालिकाओं और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी योजनाओं पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आज (गुरुवार) यह जानकारी दी।
NDTV Profit हिंदीReported by Bhasha
NDTV Profit हिंदी03:45 PM IST, 11 Feb 2016NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

सरकार अगले एक-दो दिन में लघु बचत योजनाओं की ब्याज दर में संशोधन कर सकती है, ताकि उन्हें बाजार दर के अनुरूप किया जा सके। हालांकि, बालिकाओं और वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी योजनाओं पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आज (गुरुवार) यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फैसला कर लिया गया है और दो-एक दिन में कार्यकारी आदेश तथा अधिसूचना जारी की जाएगी।

मोटे तौर पर छोटी बचत योजनाओं की दर में बदलाव लाना इनकी दरों को बाजार दरों के अनुरूप बनाना है। जितना संभव हो सके इन्हें बाजार के अनुरूप बनाना है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़ी होती हैं और सालाना आधार पर इनका समायोजन किया जाता है। लेकिन, अब हर तिमाही इन्हें समायोजित किया जाएगा। दास ने कहा कि नई दर एक अप्रैल 2016 से लागू होगी।

उन्होंने कहा कि इन बदलावों का पहला असर पहली अप्रैल से दिखेगा। एक अप्रैल से इन्हें नए सिरे से तय किया जाएगा। दास ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया के शेयर और विदेशी विनिमय बाजारों में उथल पुथल मची हुई है। भारत इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि हर रोज दुनिया के किसी न किसी हिस्से में एक नई समस्या खड़ी हो रही है। अनिश्चतता अब कोई नई बात नहीं बल्कि दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई है। सरकार वैश्विक हालात पर बराबर निगाह रखे हुए हैं और इन सभी चुनौतियों का सामना करने को तैयार है।

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान 3.6 प्रतिशत से घटा कर 3.4 प्रतिशत कर दिया है, पर उसने भारत के 7.3 प्रतिशत वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को बरकार रखा है। दास ने कहा कि दो साल से सूखे के कारण घरेलू कृषि क्षेत्र के समाने खासी चुनौती है। सरकार खास कर खाद्य फसलों के उत्पादन के संबंध में आवश्यक उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल से वर्षा कम हो रही है और इससे कृषि उत्पादन कम हुआ है।

मिट्टी में नमी पर बुरा असर पड़ रहा है। यह चिंता का विषय है। सरकार इससे निपटने में लगी है। सरकार इसका ध्यान रखेगी कि अगला मानसून कैसा जाता है। दास ने कहा विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन में पिछले चार साल से लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने जीडीपी वृद्धि के बारे में सीएसओ के ताजा अनुमान को संतोषजनक बताया। आर्थिक मामलों के सचिव दास ने कहा कि सीएसओ ने चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक वृद्धि 7.3 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

सेवा क्षेत्र कई वर्ष से काफी मजबूत चल रहा है और इसकी वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 2012-13 में छह प्रतिशत, 2013-14 में 5.6 प्रतिशत और 2014-15 में 5.5 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि यद्यपि विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं, पर कृषि क्षेत्र चिंता का विषय बना हुआ है।

सीएसओ ने चालू वित्त वर्ष में कृषि वृद्धि दर 1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले साल कृषि उत्पादन 0.2 प्रतिशत गिरा था। कृषि क्षेत्र में दो हिस्से हैं। एक फसल का और दूसरा गैर-फसली हिस्सा। फसल के मामले में उत्पादन गिरा है पर गैर फसल क्षेत्र का उत्पादन 5 प्रतिशत बढा है। दास ने कहा कि कृषि के गैर फसल खंड की वृद्धि ग्रामीण आजीविका की दृष्टि से अच्छी है पर कुल मिला कर कृषि क्षेत्र चिंता का विषय है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV Profit हिंदी
लेखकReported by Bhasha
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT