कमजोर मॉनसून की वजह से टमाटर, आलू समेत अन्य सब्जियों के दामों पर दबाव बढ़ गया है। इससे खुदरा मुद्रास्फीति की दर में और इजाफा हो सकता है, जो पहले ही 10 प्रतिशत से ऊपर चल रही है। देश भर में बारिश की कमी की वजह से महत्वपूर्ण सब्जियों के दाम जुलाई के मध्य के स्तर से नीचे आते नहीं दिख रहे हैं। आपूर्ति में कमी की वजह से सब्जियां महंगी बनी हुई हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल अभी तक देश में बारिश 19 प्रतिशत कम रही है। ऐसा कहा गया है कि अगस्त में बारिश अच्छी रहेगी, जबकि सितंबर में स्थिति खराब हो सकती है। दिल्ली में खुदरा बाजार में आलू जुलाई मध्य में 20 रुपये किलो था। यह अभी भी इसी स्तर पर चल रहा है। व्यापारियों के अनुसार, जुलाई मध्य में टमाटर 40 रुपये किलो था। अब इसके दाम दिल्ली और एनसीआर में 50 रुपये किलो चल रहे हैं।
वहीं प्याज का दाम जुलाई मध्य में दिल्ली एनसीआर में 10 से 15 रुपये किलो था। इस समय खुदरा बाजार में प्याज 20 से 25 रुपये किलो पर पहुंच चुका है। इसी तरह अन्य महानगरों- मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में भी महत्वपूर्ण सब्जियों के दाम ऊंचे चल रहे हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की इकाई राष्ट्रीय बागवानी शोध विकास संगठन (एनएचआरडीएफ) के आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों के दाम ऊंचे बने हुए हैं। एनएचआरडीएफ के निदेशक आरपी गुप्ता ने कहा कि जून में कमजोर मॉनसून की वजह से कर्नाटक में खरीफ सीजन में आलू के उत्पादन में 50 फीसदी से अधिक की कमी आई है। कर्नाटक आलू का प्रमुख उत्पादक राज्य है।
एनएचआरडीएफ के आंकड़ों के अनुसार, अहमदाबाद में 1 अगस्त को थोक बाजार में आलू का दाम 13.50 रुपये किलो था। हालांकि, इसमें मामूली गिरावट आई है। 4 अगस्त को यह 11.50 रुपये किलो था। इसी तरह बेंगलुरु में शनिवार को आलू 16 रुपये किलो था, 1 अगस्त को भी यही दाम था।
वहीं दूसरी ओर चेन्नई में 1 अगस्त को आलू 18 रुपये था, जो 4 अगस्त को 20 रुपये किलो पर पहुंच गया। मुंबई में 4 अगस्त को आलू का दाम 15 रुपये चल रहा था। 1 अगस्त को यह 14 रुपये किलो था। हालांकि, आजादपुर के सब्जी व्यापारी संघ के महासचिव राजेंद्र शर्मा का कहना है कि धीरे-धीरे अब सब्जियों के दाम नीचे आने शुरू हो गए हैं।