शेयर बाजार नियामक सेबी ने तीन करोड़ से ज्यादा निवेशकों को करीब 24,000 करोड़ रुपये वापस करने के चर्चित मामले में बुधवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और समूह के कुछ अन्य बड़े अधिकारियों से उनकी परिसंपत्तियों और निवेश के ब्यौरे मांगे।
सेबी के मुख्यालय पर करीब एक घंटे की इस पेशी के दौरान राय और सहारा समूह के तीन अन्य निदेशकों से उनकी व्यक्तिगत और कंपनियों की परिसंपत्तियों के बारे में पूछताछ की गई ताकि बाजार नियामक उनकी परिसंपत्तियों को नीलाम करने के लिए आगे की कार्रवाई कर सके और उससे मिले धन से निवेशकों को उनकी राशि वापस की जा सके।
सेबी ने 26 मार्च को जारी आदेश में राय, अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव को अपने पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत शरण के सामने व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के लिए कहा था।
सेबी के सामने पेश होने के बाद राय ने बाहर उनके इंतजार में खड़े संवाददाताओं से कहा कि उनसे उनकी व्यक्तिगत परिसंपत्तियों के बारे में पूछा गया जो उनके हिसाब से सेबी के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा ‘‘लगता है मेरी व्यक्तिगत संपत्ति से सेबी को तकलीफ है।’’ राय ने कहा कि ज्यादातर निवेशकों को उनकी धनराशि वापस कर दी गई और शेष राशि जो वापस की जानी है वह बाजार नियामक के पास है।
राय ने कहा कि सेबी ने उनसे पूछा कि क्या उनके पास उससे ज्यादा परिसंपत्ति है जिसकी उन्होंने घोषणा कर रखी है।
उन्होंने कहा ‘‘मुझसे मेरी व्यक्तिगत परिसंपत्ति के बारे में पूछा गया और मैंने उनको जवाब दिया कि मैंने अपनी पूरी संपत्ति का खुलासा कर दिया है।’’ उन्होंने कहा कि सहारा समूह सेबी द्वारा निवेशकों को निवेश की राशि वापस किए जाने में हो रही देरी से चिंतित हैं और नियामक पर आरोप लगाया कि उसने निवेशकों को धन वापस करने के लिए पिछले कई महीनों से कोई कदम नहीं उठाया है।
सहारा प्रमुख ने कहा कि सेबी के सवाल उनकी व्यक्तिगत परिसंपत्तियों तक सीमित थे और वह सहारा समूह द्वारा जमा कराये गए 5,120 करोड़ रुपये की राशि से निवेशकों का धन वापस करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।
समूह का दावा है कि उसने निवेशकों को सीधे तौर पर 24,000 करोड़ रुपये लौटा दिए हैं और शेष देनदारी 5,120 करोड़ रुपये की उस राशि से भी कम है जो उसने निवेशकों को वापस करने के लिए सेबी को दे रखा है।
व्यक्तिगत पेशी के दौरान राय और अन्य कार्यकारियों से उनकी और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (एचएसआईसीएल) परिसंपत्तियों और निवेश से जुड़े मूल दस्तावेज मांगे गए।
सेबी ने 26 मार्च को सहारा समूह के इन चारों व्यक्तियों को सम्मन जारी किए थे। इन्हें समूह की दो कंपनियों के निदेशक के रूप में तलब किया गया था ताकि उनकी व्यक्तिगत परिसंपत्तियों के ब्यौरे तथा संबंधित कंपनियों के निवेश व परिसंपत्तियों के ब्यौरे की पुष्टि की जा सके और निवेशकों का धन वापस करने के लिए धन की व्यवस्था के लिए उनकी अचल संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।
सहारा समूह की इन दोनों कंपनियों को उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 के अपने आदेश में बॉन्डधारकों का 24,000 करोड़ रुपये तीन महीने में लौटाने का निर्देश दिया था। इसी आदेश में सेबी को निवेशकों का सत्यापन करते हुए उनका पैसा लौटाने को कहा गया था।
बाद में 5 दिसंबर 2012 को न्यायालय ने सहारा समूह को अतिरिक्त समय देते हुए उसे 5,120 करोड़ रुपये तत्काल जमा कराने और उसके बाद 10,000 करोड़ रुपये जनवरी के पहले सप्ताह में और बाकी राशि फरवरी के पहले सप्ताह तक जमा कराने को कहा था।
उच्चतम न्यायालय द्वारा यह व्यवस्था दिए जाने के बाद कि यदि सहारा समूह उसके आदेश के अनुसार धन नहीं जमा कराता है तो सेबी उनकी सम्पत्ति कुर्क करने को स्वतंत्र है, सेबी ने 13 फरवरी 2013 को कुर्की के आदेश जारी किए। सेबी के अनुसार एसआईआरईसीएल और एसएचसीआईएल ने बॉन्डधारकों से 6,380 करोड़ रुपये और 19,400 करोड़ रुपये जुटाए थे पर धन जुटाने में ‘‘कई तरह की अनियमिताताएं’’ की गईं।
यह पता नहीं लग सका है कि राय और उनके अन्य सहयोगियों ने आज अपनी सम्पत्तियों के ब्यौरे प्रस्तुत किए या नहीं। सेबी ने इन फर्मों और इनके शीर्ष अधिकारियों को सम्पत्ति और खातों आदि का ब्यौरा 8 अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा गया था। सेबी ने कहा था कि यदि ये चारों व्यक्ति हाजिर न हुए तो वह उनकी अनुपस्थिति में ही सम्पत्तियों की नीलामी की शर्तें तय कर सकता है।
सेबी ने पिछले महीने कहा कि उसके इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया है। इसलिए उसने सम्पत्तियों की नीलामी की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का एक नया आदेश जारी किया ताकि निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए धन जुटाया जा सके।
संयोग से प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) भी इसी सप्ताह 13 अप्रैल को सेबी के आदेश के खिलाफ सुब्रत राय और अन्य द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करने वाला है। इन अपीलों में इन व्यक्तियों ने अपने बैंक खातों, परिसंपत्तियों और निवेश को कुर्क करने के सेबी के पहले के आदेश को चुनौती दी है।
इन परिसंपत्तियों में सहारा समूह का पुणे के करीब विकसित आंबी वैली रिजॉर्ट, दिल्ली, मुंबई और देश में कुछ अन्य जगहों की जमीन-जायदाद, शेयर, म्युचुअल फंड और अन्य प्रकार के निवेश शामिल हैं।
राय और अन्य तीन शीर्ष कार्यकारियों को व्यक्तिगत पेशी के दौरान सभी परिसंपत्तियों के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेजों की मूल प्रतियों और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्प के निवेश के ब्यौरे भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था।
इसके अलावा उनसे भारत और विदेश में बैंक खातों के ब्यौरे और आयकर रिटर्न और 2007-08 के बाद से दोनों कंपनियों द्वारा चुकाए गए संपत्ति कर का ब्यौरे भी सौंपने के लिए कहा गया था।
उच्चतम न्यायालय भी इसी महीने सेबी की उस याचिका पर सुनवाई करने वाला है जिसमें नियामक ने राय की गिरफ्तारी और उनको देश छोड़ने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।