उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को सहारा समूह की खिंचाई करते हुए कहा कि वह उसे हल्के में नहीं लें।
सहारा समूह ने विभिन्न अखबारों में विज्ञापन जारी कर बाजार नियामक सेबी पर 'सरकारी गुंडा' बनने का आरोप लगाया था। सेबी निवेशकों को 20,000 करोड़ रुपये का रिफंड नहीं करने के लिए सहारा के खिलाफ कदम उठा रहा है।
न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन तथा जे एस खेहर की पीठ ने सहारा के उस विज्ञापन को गंभीरता से लिया है जिसमें समूह ने सेबी द्वारा 'संदिग्धों की खोज' का आरोप लगाया है। न्यायालय ने सहारा से कहा है कि वह उन्हीं अखबारों में खेद प्रकाशित करवाए।
पीठ ने कहा, 'हम इस सब को बहुत गंभीरता से लेंगे। हमें हल्के में न लें। आपको इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है, आप समझें कि आप अवज्ञा का सामना कर रहे हैं। इस तरह के कामों से मामले बिगड़ेंगे। वह (सेबी) सांविधिक प्राधिकार है जो अपने कर्तव्य निभा रहा है और हमारे आदेशों का पालन कर रहा है। यह क्या है?'
सहारा समूह की ओर से आये वकील ने इस मामले में तत्काल माफी मांगी। इस बीच सहारा समूह ने अपनी 71 संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज सेबी को प्रतिभूति या जमानत के रूप में देने पर सहमति जताई है। समूह का दावा है कि इन संपत्तियों का मूल्य 20,000 करोड़ रुपये है।
न्यायालय ने हालांकि सहारा की इस याचिका को खारिज कर दिया कि उसके प्रमुख सुब्रत राय को विदेश यात्रा की अनुमति दी जाए। न्यायालय ने सेबी को दस्तावेज नहीं सौंपने के कारण सुब्रत राय पर प्रतिबंध लगाया था।
न्यायालय ने कहा, 'यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती अगर आपने हमारे आदेशों का पालन किया होता, सेबी को दस्तावेज सौंपे होते और धन रिफंड के लिए संसाधन दिए होते। इस लुकाछिपी से आपको कुछ नहीं मिलने वाला।'
सहारा समूह चाहता है कि राय पर 21 नवंबर को लगाया गया यात्रा प्रतिबंध समाप्त कर दिया जाये। समूह ने कहा कि उसने 71 संपत्तियों के टाइटल डीड (मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज) सेबी को सौंप दिए हैं।
न्यायालय ने इन दस्तावेजों के सत्यापन के लिए सेबी को समय दिया है और मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को तय की है। न्यायालय ने सहारा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने अपनी समूह कंपनियों के बैंक खातों पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया था।
सहारा समूह का कहना है कि जिन संपत्तियों के दस्तावेज दिए गए हैं वे मुंबई, कोच्चि, नोएडा, अजमेर, अलीगढ़, हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, रायपुर, अमृतसर, झांसी, कानपुर व फरीदाबाद में हैं।