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बीते सप्ताह में शेयर बाजार फिसले, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु पांच फीसदी नीचे

देश के शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांकों में गत सप्ताह लगभग 1.5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में तीन फीसदी से अधिक गिरावट रही और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु सूचकांक पांच फीसदी से अधिक लुढ़का।
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NDTV Profit हिंदी06:49 PM IST, 09 Feb 2013NDTV Profit हिंदी
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देश के शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांकों में गत सप्ताह लगभग 1.5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में तीन फीसदी से अधिक गिरावट रही और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु सूचकांक पांच फीसदी से अधिक लुढ़का।

बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह 1.50 फीसदी या 296.42 अंकों की गिरावट के साथ 19,484.77 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी इस दौरान 1.59 फीसदी या 95.40 अंकों की गिरावट के साथ 5,903.50 पर बंद हुआ।

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में इस दौरान तीन फीसदी से अधिक गिरावट रही। मिडकैप 3.04 फीसदी या 211.49 अंकों की गिरावट के साथ 6,756.01 पर तथा स्मॉलकैप सूचकांक 3.72 फीसदी या 262.34 अंकों की गिरावट के साथ 6,794.14 पर बंद हुआ।

आलोच्य अवधि में सेंसेक्स के सात शेयरों में तेजी रही। टीसीएस (5.71 फीसदी), एचडीएफसी (3.85 फीसदी), सन फार्मा (3.37 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (1.48 फीसदी) और विप्रो (0.90 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (9.56 फीसदी), सिप्ला (7.92 फीसदी), भेल (7.48 फीसदी), ओएनजीसी (5.72 फीसदी) और एनटीपीसी (5.58 फीसदी)।

बीएसई के 13 में से सिर्फ दो सेक्टर सूचना प्रौद्योगिकी (1.73 फीसदी) और प्रौद्योगिकी (0.68 फीसदी) में तेजी रही। गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (5.16 फीसदी), सार्वजनिक कम्पनियां (4.67 फीसदी), धातु (4.35 फीसदी), बिजली (4.25 फीसदी) और तेल एवं गैस (3.82 फीसदी)।

गत सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में गुरुवार को केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए अग्रिम अनुमान जारी कर कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में पांच फीसदी वृद्धि रहेगी। 2011-12 में यह वृद्धि दर 6.2 फीसदी थी।"

सरकारी अनुमानों के मुताबिक इस सुस्त विकास दर का प्रमुख कारण कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का खराब प्रदर्शन है। यह विकास दर पिछले एक दशक में सबसे कम है। इससे पहले 2002-03 में विकास दर चार फीसदी रही थी।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक कृषि और सहायक गतिविधियों की विकास दर 1.8 फीसदी रहेगी, जो 2011-12 में 3.6 फीसदी।
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल में विकास दर क्रमश: 5.9 फीसदी और 5.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने हालांकि आंकड़ों पर निराशा जताते हुए कहा कि वास्तविक आंकड़ा बेहतर रह सकता है।

आंकड़ों के मुताबिक कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र की विकास दर 1.8 फीसदी (पिछले कारोबारी साल में 3.6 फीसदी), विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 1.9 फीसदी (पिछले कारोबारी साल में 2.7 फीसदी) और गैस एवं जलापूर्ति क्षेत्र में 4.9 फीसदी (पिछले कारोबारी साल में 6.5 फीसदी) रह सकती है।

खनन क्षेत्र विकास दर 0.4 फीसदी (पिछले कारोबारी साल में 0.6 फीसदी गिरावट) रहने का अनुमान है।

व्यापार, होटल, परिवहन और संचार जैसे सेवा क्षेत्र में विकास दर 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें पिछले कारोबारी साल में 7.00 फीसदी विकास दर रही थी।

वित्त, बीमा, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विकास दर 8.6 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसमें पिछले कारोबारी साल में विकास दर 11.7 फीसदी रही थी।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा कारोबारी साल की पहली छमाही में विकास दर 5.4 फीसदी रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था और घरेलू स्तर पर नीतिगत अवरोध के कारण हालांकि हाल की तिमाही में विकास दर घटी है।

सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक देश की प्रति व्यक्ति आय 31 मार्च को समाप्त होने वाले मौजूदा कारोबारी साल में पिछले कारोबारी साल की तुलना में 2.9 फीसदी बढ़कर 39,143 रुपये हो सकती है। पिछले कारोबारी वर्ष में यह 38,037 रुपये थी।

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने गुरुवार को ही कहा कि विकास में तेजी लाने के लिए सरकार और अधिक कदम उठाएगी।

चिदम्बरम ने सीएसओ द्वारा जारी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "वित्त मंत्रालय में हमलोग जो अनुमान लगा रहे थे उससे निश्चित रूप से सीएसओ की अनुमानित विकास दर कम है।"

वित्त मंत्री ने एक बयान में कहा, "हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं, हम विकास में तेजी लाने के लिए पहले भी कदम उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे।"

चिदम्बरम ने कहा कि सरकार ने आर्थिक सुधार के कई कदम उठाए हैं और वास्तविक विकास दर इससे बेहतर रह सकती है।

चिदम्बरम ने बताया कि यह पूर्वानुमान नवम्बर 2012 तक के आंकड़ों पर आधारित हैं। इसके बाद प्रमुख सूचकांकों में काफी सुधार हुआ है।

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