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शेयर बाजार : महंगाई दर पर रहेगी नजर

अगले हफ्ते निवेशकों की निगाह मुख्य रूप से नवंबर महीने के थोक और उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़ों, अक्टूबर महीने के औद्योगिक उत्पादन से संबंधित आंकड़ों और संसद के चालू शीतकालीन अधिवेशन पर टिकी रहेगी।
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NDTV Profit हिंदी11:21 AM IST, 07 Dec 2014NDTV Profit हिंदी
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अगले हफ्ते निवेशकों की निगाह मुख्य रूप से नवंबर महीने के थोक और उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़ों, अक्टूबर महीने के औद्योगिक उत्पादन से संबंधित आंकड़ों और संसद के चालू शीतकालीन अधिवेशन पर टिकी रहेगी।

केंद्र सरकार 12 दिसंबर को अक्टूबर महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी करेगी। सितंबर 2014 में औद्योगिक विकास दर 2.5 फीसदी रही थी, जो अगस्त 2014 में 0.5 फीसदी थी।

सरकार उसी दिन नवंबर में रही उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। अक्टूबर में उपभोक्ता महंगाई दर 5.52 फीसदी और सितंबर में 6.46 फीसदी रही थी।

सरकार सोमवार 15 दिसंबर को नवंबर में रही थोक महंगाई दर के आंकड़े जारी करेगी। थोक महंगाई दर अक्टूबर में 1.77 फीसदी और सितंबर में 2.38 फीसदी रही थी।

संसद का शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से जारी है। इसका समापन 23 दिसंबर को होना तय है। इस सत्र में आर्थिक महत्व के कई विधेयकों से संबंधित घटनाक्रमों पर निवेशकों की निगाह रहेगी।

इस सत्र में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास व पुनर्स्थापना जैसे विधेयकों को पारित करने की कोशिश की जा सकती है। सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक पर भी कदम आगे बढ़ा सकती है।

अगले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेश के आंकड़ों, वैश्विक बाजारों के रुझान, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और तेल के मूल्य पर भी निवेशकों की नजर बनी रहेगी।

निवेशकों की निगाह अगले हफ्ते कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत पर भी टिकी रहेगी। हाल के महीनों में तेल मूल्य में काफी गिरावट दर्ज की गई है। इसी का फायदा उठाते हुए सरकार ने डीजल मूल्य को नियंत्रण मुक्त भी कर दिया है। कच्चे तेल की कीमत घटने से सरकार को चालू खाता घाटा और ईंधन महंगाई दर कम करने में मदद मिलेगी। देश को अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करना पड़ता है।

निवेशकों की निगाह सरकारी तेल विपणन कंपनियों पर भी रहेगी, क्योंकि ये कंपनियां मध्य दिसंबर में तेल मूल्य की समीक्षा करेंगी। तेल कंपनियां हर महीने के बीच में और आखिर में विगत दो सप्ताह के दौरान आयातित तेल की औसत कीमत के आधार पर तेल मूल्य की समीक्षा करती हैं।

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