आगामी सप्ताह शेयर बाजारों में निवेशकों की नजर विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) की दिशा और पिछले कारोबारी साल की अंतिम तिमाही में प्रमुख कम्पनियों के परिणामों पर रहेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ब्याज दरों में पिछले कुछ समय में कटौती के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में व्यापक खरीदारी की है।
अगले सप्ताह कई प्रमुख कम्पनियां 31 मार्च को समाप्त हुई तिमाही और पूरे कारोबारी वर्ष के लिए परिणामों की घोषणा करेंगी। सोमवार, 20 मई 2013 को कोल इंडिया, मंगलवार को टेक महिंद्रा और बुधवार को एलएंडटी अपने कारोबारी परिणामों की घोषणा करेंगी। गुरुवार, 23 मई 2013 को टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (भेल) तथा शुक्रवार को जेट एयरवेज, ऑयल इंडिया और स्पाइसजेट अपने कारोबारी परिणामों की घोषणा करेंगी।
लोकल सर्च इंजन कम्पनी जस्ट डायल के प्रथम सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए बोली लगाने की अवधि सोमवार, 20 मई से शुरू होगी। बोली लगाने के लिए प्रति शेयर मूल्य का दायरा 470 रुपये से 543 रुपये के बीच रखा गया है। जबकि खुदरा निवेशकों के लिए प्रति शेयर 47 रुपये की छूट रखी गई है। इस आईपीओ के तहत कम्पनी के कुछ शेयरधारक अपने 1.74 करोड़ शेयरों की नीलामी करेंगे, जिससे मिलने वाली राशि कम्पनी को नहीं मिलेगी।
आरबीआई आगामी 17 जून को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा पेश करेगा। आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने गत 14 मई को कहा था कि आरबीआई ब्याज दरों में सम्भावित कटौती पर चर्चा करते हुए महंगाई दर में हो रही गिरावट को भी ध्यान में रखेगा।
आरबीआई ने गत 3 मई 2013 को मौद्रिक नीति की समीक्षा में अपनी प्रमुख नीतिगत दर रेपो दर में कटौती करते हुए इसे 25 आधार अंक घटाकर 7.25 फीसदी कर दिया और बैंको के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को चार फीसदी पर ही बरकरार रखा। आरबीआई ने तब कहा था कि विकास दर और महंगाई दर के सम्बंधों के बीच संतुलन बिठाने की कोशिशों के तहत नीति में और अधिक सरलता लाने की कम ही गुंजाइश है। आरबीआई ने कहा था कि वह अपने वित्तीय उपकरणों से मार्च 2014 तक महंगाई दर को पांच फीसदी के दायरे में लाने की कोशिश करेगा।
आने वाले कुछ महीनों में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति के कारण शेयर बाजारों के सूचकांकों के ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद कम है। शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देश के मुताबिक सूचीबद्ध निजी कम्पनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटानी होगी और आम निवेशकों को कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी। इसी तरह सरकारी सूचीबद्ध कम्पनियों में आम निवेशकों को कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी देनी होगी।
सेबी के आदेश के मुताबिक निजी कम्पनियों के संस्थापकों को 30 जून 2013 तक अपनी हिस्सेदारी घटानी होगी, जबकि सरकारी कम्पनियों को 31 अगस्त तक सेबी के आदेश पालन करना होगा।
वर्ष 2014 में सरकारी कम्पनियों के विनिवेश के सरकारी लक्ष्य से भी शेयरों की बिकवाली को हवा मिलेगी। सरकार ने सार्वजनिक कम्पनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से वर्तमान कारोबारी वर्ष में 40 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने निजी कम्पनियों में भी अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
लोकसभा चुनाव से जुड़ी खबरों के चलते अगले साल मई तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अगली सरकार कई पार्टियों की मिली जुली हो सकती है। सुधार की प्रक्रिया के अवरुद्ध होने की आशंका है। इसका असर वित्तीय घाटा प्रबंधन पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है और वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा सकती हैं।
बाजार में इस वक्त काफी गिरावट चल रहा है इसे देखते हुए निवेशक बॉटम अप की रणनीति अपना सकते हैं। यानी वे सस्ते शेयर खरीद सकते हैं। छोटे निवेशकों को इस दौरान सेक्टर कॉल लेने के बजाय खास-खास शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।