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वोडाफोन के साथ समझौते पर सिब्बल ने बदला अश्विनी कुमार का निर्णय

इससे पहले पूर्व कानूनमंत्री अश्विनी कुमार ने अटॉर्नी जनरल की राय के बाद वोडाफोन के लिए कर जमा करने का रास्ता ही विकल्प के तौर पर बताया था जबकि समझौते की बात को कानून मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल दोनों ने खारिज कर दिया था।
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NDTV Profit हिंदी03:39 PM IST, 14 May 2013NDTV Profit हिंदी
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कानून मंत्रालय में कामकाज संभालने के पहले ही दिन कपिल सिब्बल ने पूर्व कानूनमंत्री अश्विनी कुमार के वोडाफोन पर कर देनदारी के मामले में उनके फैसले को पलट दिया है। अपने फैसले में उन्होंने कंपनी के साथ सरकार के समझौते का रास्ता साफ कर दिया है। इससे पहले कुमार ने अटॉर्नी जनरल की राय के बाद कर जमा करने का रास्ता ही विकल्प के तौर पर बताया था, जबकि समझौते की बात को कानून मंत्रालय और अटॉर्नी जनरल दोनों ने खारिज कर दिया था।

बता दें कि ब्रितानी कंपनी वोडाफोन पर भारत में करीब 11 हजार करोड़ रुपये के कर अपवंचन का आरोप है और इस कर को उसे चुकाना है।

इस वर्ष के आरंभ में वित्तमंत्रालय के उस प्रस्ताव को कानूनमंत्री कुमार ने खारिज कर दिया था जिसमें समझौते के रास्ते को अपनाने का आग्रह किया गया था। उस वक्त कानूनमंत्रालय ने इसे गैर-कानूनी करार दिया था। कानूनमंत्रालय के अलावा अटॉर्नी जनरल ने भी समझौते के खिलाफ अपनी सलाह दी थी और कहा कि वोडाफोन को पहले अपने देनदारी चुकानी चाहिए।

लेकिन, खास बात यह है कि सिब्बल के कामकाज संभालने के तुरंत बाद अटॉर्नी जनरल ने ताजा राय देते हुए कहा कि वोडाफोन से समझौता कानूनी रूप से तर्कसंगत है। कानूनमंत्रालय के हामी के बाद अब यह मामला कैबिनेट में जाएगा।

अपनी राय में बदलाव के सवाल पर अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने कहा कि कानून को दरकिनार करने की कोई कोशिश नहीं की गई है। साथ ही उन्होंने कहा कि बिना संसद की मंजूरी के कुछ भी किया नहीं जा सकता है।

कहा जा रहा है कि एजीआई की राय में परिवर्तन वित्तमंत्री पी चिदंबरम की एक बैठक में राजस्व सचिव और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर के अध्यक्ष की मौजूदगी में उस सफाई के बाद आया, जिसमें चिदंबरम ने कहा कि समझौते का प्रस्ताव न ही कानून का उल्लंघन करता और न ही आयकर कानून के तहत कर देनदारी में कोई बदलाव करता है।

चिदंबरम ने यह भी कहा था कि वोडाफोन के साथ मुद्दों पर विचार करने के लिए कैबिनेट से इजाजत के लिए प्रस्ताव रखा गया था। इसके अलावा वित्तमंत्री ने कहा कि वोडाफोन के साथ कानून के दायरे में रहकर ही समझौता किया जाएगा।

कानूनमंत्रालय का कामकाज संभालने के साथ ही सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया था कि कानूनी प्रक्रिया को आर्थिक वृद्धि में अवरोधक का काम नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिए।

बता दें कि ब्रितानी कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में इसी कर मामले में केस जीता था और उसी आदेश का असर समाप्त करने के लिए कानून में संशोधन किया गया था। इस बदलाव के बाद आयकर विभाग ने वोडाफोन को नोटिस भेजकर कहा था कि कंपनी को 11,217 करोड़ रुपये का कर मय ब्याज देना है।

वहीं, इसके जवाब में कंपनी ने कहा कि उन पर भारत सरकार की कुछ भी देनदारी नहीं बनती है। इससे पहले वोडाफोन इस मुद्दे पर भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाना चाहती थी, लेकिन बाद में समझौते की राह पर चलने लगी। वोडाफोन पर यह कर देनदारी हांगकांग की कंपनी हचिसन वामपोआ को खरीदने के बाद बनी थी। कंपनी द्वारा यह खरीद 2007 में की गई थी।

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