साइरस मिस्त्री के काम से नाखुश टाटा संस ने बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें चेयरैमन के पद से हटा दिया. महज चार साल के भीतर वह पद से हटा दिए गए. टाटा ग्रुप ने 148 साल में महज 6 चेयरमैन देखे. दो बार को छोड़ दें तो टाटा परिवार से ही चेयरमैन बने हैं. टाटा परिवार में चूंकि ज्यादातर लोगों ने शादी नहीं की इसलिए उत्तराधिकारी चुनने में ज्यादा दिक्कत होती है. इन समूह के सभी छह चेयरमैनों पर आइए डालें एक नजर :
जमशेदजी एन. टाटा इसके पहले चेयरमैन थे. उन्होंने दिवालिया मिल खरीदकर नई मिल बनाई. इसके बाद स्टील कंपनी और होटेल चैन शुरू की.
उनके बाद सर दोराब टाटा चेयरमैन बने जिन्होंने 1907 में टाटा स्टील और 1911 में टाटा पावर की स्थापना की. 1910 में उन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया.
नौरोजी सकलतवाला ग्रुप के तीसरे चेयरमैन रहे मगर वह पहले चेयरमैन थे जो परिवार में से नहीं थे. उनके बाद जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा बने चैयरमैन जो सबसे अधिक समय तक इस पद पर रहे. उन्होंने टाटा मोटर्स और एयर इंडिया की स्थापना की. वह 53 साल तक चेयरमैन रहे.
उनके बाद रतन टाटा ने यह पद संभाला. रतन टाटा ने जब पद संभाला था तब समूह का टर्नओवर 6 अरब डॉलर था. मगर जब छोड़ा, तब कंपनी का टर्नओवर 100 अरब डॉलर हो चुका था.
रतन टाटा के बाद पद का भार साइरस पालोनजी मिस्त्री को दिया गया. साइरस ऐसे पहले चेयरमैन हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं. तमाम शिकायतों और सोमवार यानी 24 अक्टूबर के घटनाक्रम के बीच साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया. उनकी जगह फिर से रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बनकर लौटे.