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विश्व बैंक ने किया आगाह- पानी संकट के चलते हिंसा बढ़ेगी, लोग विस्थापन को होंगे मजबूर

विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि जल संकट के चलते देशों की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लोगों का विस्थापन बढ़ सकता है और यह भारत समेत पूरे विश्व में संघर्ष की समस्याएं खड़ी कर सकता है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
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NDTV Profit हिंदी06:15 PM IST, 05 May 2016NDTV Profit हिंदी
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विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि जल संकट के चलते देशों की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लोगों का विस्थापन बढ़ सकता है और यह भारत समेत पूरे विश्व में संघर्ष की समस्याएं खड़ी कर सकता है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निकाय का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से जल संकट बढ़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन, जल एवं अर्थव्यवस्था पर विश्व बैंक की बुधवार को जारी रिपोर्ट 'हाई एंड ड्राई: क्लाइमेट चेंज, वाटर एंड दी इकॉनमी' में कहा गया है कि बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती आय और शहरों के विस्तार से पानी की मांग में भारी बढ़ोतरी होगी, जबकि आपूर्ति अनियमित और अनिश्चित होगी।

कम बारिश होने पर संपत्ति से जुड़े झगड़े बढ़ जाते हैं
भारत में पानी का उपयोग अधिक कुशलता और किफायत से किए जाने पर बल देते हुए विश्व बैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पूरे भारत में पानी की किल्लत या कम से कम कम पानी की मांग बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है भारत में औसत से कम बारिश होने पर संपत्ति से जुड़े झगड़ों में करीब चार प्रतिशत बढ़ जाते हैं और बाढ़ आने पर सांप्रदायिक दंगे ज्यादा आम हो जाते हैं।

गुजरात में पानी के किल्लत से बढ़ा विस्थापन
इसमें कहा गया है कि गुजरात में जब जमीन के नीचे पानी का स्तर गिरने से सिंचाई के लिए पानी कम और महंगा हो गया, तो किसान फसल प्रणाली में बदलाव और पानी के बेहतर उपयोग का रास्ता अपनाने के बजाय बजाय शहरों की ओर विस्थापन करने लगे। विश्व बैंक ने कहा, एक आकलन के मुताबिक भूमिगत जल की पंपिंग का भारत के कुल कार्बन उत्सर्जन में चार से छह प्रतिशत का योगदान है।

आर्थिक वृद्धि के लिए भी खतरा है जल संकट
विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा है, 'जल संकट आर्थिक वृद्धि और विश्व की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है और जलवायु परिवर्तन इस समस्या को और बढ़ा रहा है।' उन्होंने कहा, 'यदि देश अपने जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन के लिए पहल नहीं करते तो हमारे विश्लेषण के मुताबिक बड़ी आबादी वाले बड़े क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि में गिरावट का लंबा सिलसिला शुरू हो सकता है। लेकिन विभिन्न लेन देश आने वाले समय में पानी का दीर्घकालिक प्रबंध करने के लिए अभी से इसके लिए नीतियां लागू कर सकते हैं।' विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री रिचर्ड दमानिया ने कहा कि मॉनसून के बारे में जलवायु मॉडल पर आधारित अनुमानों में काफी विभिन्नता है। इसलिए लोगों को ठीक-ठीक नहीं पता कि मसलन, भारत में क्या होगा और पश्चिम एशिया में क्या होगा।

भारत पर क्या होगा असर?
उन्होंने कहा, 'इसका भारत के लिए क्या अर्थ होगा? यदि आप जलवायु परिवर्तन को अलग भी कर देते हैं, तो भारत के लिए अनुमानों से संकेत मिलता है कि जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण जो उल्लेखनीय रूप से तेज है और आर्थिक वृद्धि सबको मिलाकर पानी की मांग बढ़ेगी। हमें पानी के उपयोग में दक्षता बढ़ाने की जरूरत है।'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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