सरकार ने गुरुवार को एक बड़े सुधार के तहत 80,000 करोड़ रुपये के चीनी उद्योग को आंशिक रूप से नियंत्रणमुक्त कर दिया। इससे चीनी मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने की आजादी मिलेगी। साथ ही मिलों को राशन की दुकानों के लिए सब्सिडी वाली दर पर चीनी आपूर्ति करने के बंधन से भी मुक्त कर दिया गया है।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने कहा है कि इस फैसले से चीनी की खुदरा कीमतों में इजाफा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार खुले बाजार से चीनी की खरीद कर राशन की दुकानों के जरिये सस्ती दरों पर इसकी बिक्री जारी रखेगी।
सरकार की इस पहल के कारण चीनी उद्योग को हर साल करीब 3,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। वहीं इस निर्णय से सरकार पर चीनी सब्सिडी का बोझ दोगुना होकर सालाना 5,300 करोड़ रुपये जाएगा। अभी वह सरकारी गल्ले की दुकानों से बिकने वाली चीनी पर सालाना 2,600 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है।
चीनी क्षेत्र को आंशिक रूप से नियंत्रणमुक्त करने का फैसला मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने किया है।
मिलों को अभी अपने उत्पादन का एक हिस्सा 20 रुपये किलो की निश्चित दर पर सरकार को बेचना होता है। आज के इस फैसले के बाद मिलों को अपने पूरे उत्पादन को खुले बाजार में बेचने की स्वतंत्रता होगी। सरकार मिलों से चीनी खरीदने के बाद इसकी बिक्री राशन की दुकानों के जरिये 13.50 रुपये प्रति किलो के दाम पर करती है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई सीसीईए की बैठक में लिए गए फैसले के बाद राज्य अब खुले बाजार से चीनी खरीदेंगे। सरकार दो साल तक (सितंबर, 2014) राज्यों की इस खरीद पर 32 रुपये प्रति किलोग्राम तक सब्सिडी देगी।
थॉमस ने कहा कि इससे सरकार का सब्सिडी का खर्च 2,600 करोड़ रुपये से बढ़कर 5,300 करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस फैसले से चीनी महंगी हो जाएगी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘चीनी मीठी थी, मीठी रहेगी।’’ सी रंगराजन समिति की सिफारिशों के आधार पर सीसीईए ने यह फैसला किया है। रंगराजन ने कहा कि यह फैसला चीनी मिलों को प्रोत्साहन देने के लिए काफी है।
चीनी उद्योगों के संगठन इस्मा ने कहा कि इस कदम से उत्पादन की लागत में सुधार होगा तथा मिलों के पास नकदी बढ़ेगी, जिससे वे किसानों को समय पर भुगतान कर पाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि सीसीईए की बैठक में कुछ मंत्रियों ने चीनी क्षेत्र को नियंत्रणमुक्त करने से पड़ने वाले मुद्रास्फीतिक दबाव पर चिंता जताई। साथ ही केंद्र-राज्य संबंधों और पीडीएस के संचालन को लेकर भी चिंता जताई।
विनियमित निर्गम प्रणाली के तहत सरकार खुले बाजार में बिक्री के लिए चीनी का कोटा निर्धारित करती है। बाद में इस प्रणाली में ढील दी गई और कोटा अर्द्धवार्षिक स्तर पर जारी किया जाता है जबकि पहले यह मासिक आधार पर जारी किया जाता था।
लेवी चीनी प्रणाली में चीनी मिलों को अपने उत्पादन का 10 प्रतिशत केन्द्र सरकार को सस्ते दामों पर राशन दुकान में बेचने के लिए देना होता था जिसके कारण चीनी उद्योग पर 3,000 करोड़ रुपये वार्षिक की लागत आती थी।
थॉमस ने कहा कि राशन की दुकान के लिए जरूरत भर चीनी को राज्य सरकारें पारदर्शी प्रणाली के जरिये खुले बाजार से खरीद सकती हैं।