उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि औद्योगिक घरानों के लिए संपर्क सूत्र का काम करने वाली नीरा राडिया की नौकरशाहों, उद्यमियों और नेताओं के साथ रिकॉर्ड की गई बातचीत से पहली नजर में ‘गहरी साजिश’ का पता चलता है। न्यायालय ने इसके साथ सीबीआई को छह मुद्दों की जांच के आदेश दिए जो निजी हित के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाने से संबंधित हैं।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि पहली नजर में इसमें सरकारी अधिकारियों और निजी उद्यमियों की मिलीभगत से गहरी साजिश दिखती है और नीरा राडिया की बातचीत से पता चलता है कि प्रभावशाली व्यक्ति किसी अन्य मकसद से निजी लाभ उठाने के लिए भ्रष्ट तरीके अपनाते हैं।
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने नीरा राडिया के टैप की गई टेलीफोन बातचीत का विश्लेषण किया था। इस विश्लेषण के आधार पर न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को दो महीने के भीतर जांच पूरी करके शीर्ष अदालत में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
टेलीफोन बातचीत का विश्लेषण शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने किया है।
न्यायालय ने जांच का आदेश देते वक्त हालांकि उन छह मामलों का खुलासा नहीं किया जिनकी जांच सीबीआई करेगी, लेकिन इतना अवश्य कहा कि जांच ब्यूरो को इनमें अपराधिता के अंश मिले थे।
न्यायाधीशों ने कथित रूप से न्यायपालिका से संबंधित एक मसला उचित आदेश के लिए प्रधान न्यायाधीश के पास भेज दिया। इसी तरह न्यायालय ने एक अन्य मसला खान विभाग के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पास जांच के लिये भेजा है।
न्यायालय ने समिति को नीरा राडिया की बातचीत की सारी लिपि की बारीकी से छानबीन करने का निर्देश देते हुए इस मामले की सुनवाई 16 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।
न्यायालय ने इस बातचीत का विश्लेषण करने वाले विशेष दल में आय कर विभाग के दस और सब इंसपेक्टर शामिल करने की भी अनुमति प्रदान कर दी है।
इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि नीरा राडिया की प्रभावशाली व्यक्तियों से हुई बातचीत की छानबीन से पता चलता है कि यह सिर्फ 2जी स्पेक्ट्रम तक ही सीमित नहीं था और इससे दूसरे पहलुओं के बारे में भी पता चलता है। शीर्ष अदालत ने समिति की गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कहा था कि राडिया के नेताओं, औद्योगिक घरानों और दूसरे व्यक्तियों से हुई बातचीत के विवरण से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों के बारे में भी संकेत मिलते हैं।
वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 को मिली एक शिकायत के बाद नीरा राडिया के टेलीफोन की निगरानी हो रहा थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नीरा राडिया ने नौ साल की अवधि में ही तीन सौ करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
सरकार ने कुल 180 दिन नीरा राडिया की बातचीत रिकॉर्ड की थी। पहली बार 20 अगस्त, 2008 से 60 दिन तक और फिर 19 अक्तूबर से अगले 60 दिन तक बातचीत रिकॉर्ड की गई थी। इसके बाद 8 मई, 2009 के आदेश के तहत 11 मई से फिर उसके टेलीफोन की बातचीत रिकॉर्ड की गई थी।
शीर्ष अदालत ने नीरा राडिया के टेलीफोन की बातचीत के विवरण की जांच पड़ताल के लिये जांच अधिकारियों का एक दल गठित किया था।