भारत और 20 अन्य देशों ने आज चीन समर्थित एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) का संस्थापक सदस्य बनने के लिए करार पर दस्तखत किए। हालांकि इस बैंक के उद्घाटन समारोह में ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया शामिल नहीं हुए।
यह बैंक एशियाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचा विकास में सहयोग करेगा। इससे इन देशों की पश्चिम के प्रभुत्व वाले विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष पर निर्भरता कम हो सकेगी।
वहीं भारतीय वित्तमंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग की संयुक्त सचिव उषा टाइटस ने यहां ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में एक विशेष समारोह में भारत की ओर से सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए।
चीन के उप वित्तमंत्री जिन लिक्यून को एआईआईबी का महासचिव नियुक्त किया गया है। जिन एशियाई विकास बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं। इस बैंक का मुख्यालय चीन में होगा और इसके अगले साल कामकाज शुरू करने की उम्मीद है।
एमओयू में इस बात का उल्लेख है कि एआईआईबी की अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी। शुरू में 50 अरब डॉलर के शेयर के लिए आवेदन किए जा सकेंगे और उसके 20 प्रतिशत के बराबर भुगतान करना होगा।
चीन और भारत के अलावा एआईआईबी के अन्य सदस्यों में वियतनाम, उज्बेकिस्तान, थाइलैंड, श्रीलंका, सिंगापुर, कतर, ओमान, फिलीपीन, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, ब्रुनेई, कम्बोडिया, कजाखस्तान, कुवैत, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मंगोलिया व म्यांमार शामिल हैं। सदस्यों के वोट के अधिकार की कसौटी तय करने के लिए विचार विमर्श होगा। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) व क्रयशक्ति समानता (पीपीपी) के आधार पर तय होगा। इस फॉर्मूले के आधार पर चीन के बाद भारत बैंक का दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक होगा।
एआईआईबी में भागीदारी के फैसले पर टाइटस ने कहा कि भारत का विचार है कि नया बैंक बुनियादी ढांचा वित्तपोषण के लिए संसाधन पूंजी आधार उपलब्ध कराएगा, जो क्षेत्रीय विकास के लिए अच्छी बात है।