ADVERTISEMENT

अर्थव्यवस्था में सुधारों को जारी रख पाएंगे जेटली?

आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में बड़े सुधारवादी कदमों की वजह से शनिवार को पेश किए जाने वाले आम बजट से उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बजट को दहाई अंकों की विकास दर हासिल कराने वाली नीतियां देने में मोदी सरकार की गंभीरता की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा है।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी09:20 AM IST, 28 Feb 2015NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में बड़े सुधारवादी कदमों की वजह से शनिवार को पेश किए जाने वाले आम बजट से उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बजट को दहाई अंकों की विकास दर हासिल कराने वाली नीतियां देने में मोदी सरकार की गंभीरता की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा है।

नई सरकार अपना पहला पूर्णकालिक बजट पेश करने जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि देश अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है, जहां सुधारों की व्यापक गुंजाइश है। यह वित्त मंत्री अरुण जेटली का दूसरा आम बजट होगा। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भारी जीत के बाद साल के मध्य में अपना पहला बजट पेश किया था।

जेटली ने 10 जुलाई, 2014 को अपने बजट भाषण में कहा था, 'इस बजट में मैं जिन कदमों का ऐलान करूंगा, वह वृहद् आर्थिक स्थिरता के साथ देश की विकास दर को सात से आठ प्रतिशत तक पहुंचाने और अगले तीन से चार सालों में इससे ऊपर ले जाने की यात्रा की सिर्फ शुरुआत भर होगी।' उन्होंने हालांकि यह भी कहा था कि सरकार गठन के सिर्फ 45 दिनों के भीतर पेश किए गए पहले बजट में बहुत कुछ करने की उम्मीद करना भी उचित नहीं होगा।

पहले की भांति, वित्त मंत्री ने वित्तीय अनुशासन और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों पर सब्सिडी छूट और रियायत जैसे विषयों पर कॉर्पोरेट क्षेत्र से लेकर व्यक्तिगत करदाताओं तक विभिन्न पक्षों से सुझाव मांगे हैं। इस बजट में पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि क्या सरकार वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.1 प्रतिशत के बजटीय लक्ष्य को बनाए रखने में सफल होती है।

14वें वित्त आयोग द्वारा केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ा कर 10 प्रतिशत करने के फैसले से भी सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ा है। इस फैसले के बाद सरकार राज्यों को 348,000 करोड़ रुपये और 2015-16 में 526,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी।

देश की अर्थव्यवस्थआ पर सरकार का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड यानी आर्थिक समीक्षा, आम बजट से एक दिन पहले संसद में पेश की गई। इस रिपोर्ट में 2015-16 के दौरान देश की विकास दर आठ प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया है और सही नीतियों और सुधारों के साथ देश की आर्थिक विकास दर दहाई अंक के स्तर तक भी पहुंच सकती है।

शनिवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश आर्थिक विकास दर के लिए वित्तीय अनुशासन के साथ ही सरकारी निवेश में अल्पकालिक वृद्धि को संतुलित कर सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक, मध्यावधि में वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के लक्ष्य को अवश्य पूरा करना होगा।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT