JNU ने एडमिशन पॉलिसी में किया बदलाव, महिला उम्मीदवारों के लिए ग्रेस पॉइंट घटाए

JNU ने एडमिशन पॉलिसी में किया बदलाव, महिला उम्मीदवारों के लिए ग्रेस पॉइंट घटाए

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू  ) ने करीब एक दशक के बाद अपनी प्रवेश प्रक्रिया में संशोधन किया है। नयी प्रक्रिया के तहत महिला अभ्यर्थियों को दिये जाने वाले आवश्यक ग्रेस अंक में कटौती कर दी गयी है।

विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘जेएनयू की पिछडे क्षेत्रों की सूची में शामिल किसी भी जगह से शिक्षा हासिल कर चुकी महिला और ट्रांसजेंडर अभ्यर्थी अब चार अंकों की छूट के हकदार होंगे, जबकि किसी पिछले क्षेत्र से संबंध ना रखने वाले महिला एवं ट्रांसजेंडर को दो अंकों की छूट दी जाएगी।’’ 

अभी तक जेएनयू में प्रवेश पाने की इच्छुक सभी महिलाओं को प्रवेश परीक्षा में पांच अंकों का ‘डिप्राइवेशन ’ अंक दिये जाते थे । इसके अतिरिक्त यदि वह जेएनयू की चतुर्थक-1 (Quartile 1) और चतुर्थक-2 (Quartile 2) (पिछड़े क्षेत्रों का सीमांकन) के तहत पिछड़े इलाके वाली जेएनयू की सूची से संबंधित हैं, तो उन्हें पांच और तीन अंकों का अतिरिक्त लाभ मिलता था। प्रवेश पाने की इच्छुक महिला अभ्यर्थियों के लिए पांच अंकों की आवश्यक छूट का नियम 1994 में शुरू किया गया था।

हालांकि छात्रों और अध्यापकों के एक समूह ने जेएनयू प्रशासन के इस कदम की कड़ी आलोचना की है और विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करने का निर्णय किया है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘महिला अभ्यर्थियों को पुरुष अभ्यर्थियों की तुलना में अत्यधिक लाभ दिया गया था। उदाहरण के लिए, चतुर्थक-1 (Quartile 1) की सूची में शामिल जिले की महिला अभ्यर्थी को कुल 10 अंकों की छूट मिलती थी, जो अधिक सक्षम पुरष अभ्यर्थी के स्थान से ऊपर पहुंच जाती थी ।

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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए प्रवेश के लिए नियुक्त स्थायी समिति ने सभी कारणों पर विचार-विमर्श करके अपनी नीति में संशोधन करने का निर्णय किया है।’’ विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस प्रकार के बदलाव के लिए वैधानिक प्रक्रियाओं को ‘नजरंदाज’ किये जाने का आरोप लगाया है और कहा है कि प्रवेश संबंधी इस संशोधन के बारे में कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गयी है।