दिल्ली : जामिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में PM मोदी को न्योता का मुद्दा गरमाया

दिल्ली : जामिया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में PM मोदी को न्योता का मुद्दा गरमाया

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी कैम्पस।

नई दिल्ली:

जामिया मिलिया इस्लामिया में होने वाले दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित करने का मुद्दा गरमाता जा रहा है। जामिया के पूर्व छात्रों ने मोदी को आमंत्रित करने का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि सितम्बर 2008 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक जनसभा में कहा था कि जामिया मिलिया इस्लामिया आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी का प्रवेश द्वार।

शुक्रवार की शाम को पूर्व  छात्रों  ने वाइस चांसलर प्रोफेसर तलत अहमद को एक पत्र ई-मेल से भेजा है। पत्र में उन्होंने मांग की है कि या तो वीसी आमंत्रण वापस लें या फिर नरेंद्र मोदी समारोह वाले दिन अपने उस बयान को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया से माफी मांगें। पूर्व छात्रों ने अपने इस पत्र के साथ मोदी का वीडियो भी भेजा है। पूर्व छात्रों की इस मुहिम के बाद यूनिवर्सिटी कैम्पस में इसके पक्ष और विरोध में लड़ाई तेज हो गई है। NDTV ने जामिया यूनिवर्सिटी जाकर इस मामले को लेकर संबंधित लोगों से बात की। मोदी को बुलाने के मुद्दे पर छात्र दो खेमों में बंट गए हैं। एक पक्ष विरोध कर रहा है तो दूसरा मोदी का खैरमकदम करने को तैयार है।  

जामिया में पढता हूं, कहां है जेहादी कैम्प?
बीए इतिहास के तृतीय वर्ष के छात्र सार्थक शर्मा नाराजगी भरे अंदाज में नरेंद्र मोदी के आगमन का विरोध करते हुए कहते हैं कि 'मैं यहां तीन साल से पढ़ रहा हूं। साथ ही जामिया हॉस्टल में रहता भी हूं। मुझे तो यहां कोई जेहादी कैम्प नहीं दिखाई दिया। कैम्प तो छोड़िए कैम्पस में कोई जेहाद की बात करते भी आज तक नहीं सुना और न ही देखा। मुझे हैरत है कि नरेंद्र मोदी जी ने जामिया यूनिवर्सिटी को आतंकवाद का अड्डा क्यों बताया?'

विवि का छात्र सार्थक एवं एक छात्रा।

हिजाब पहने छात्राओं ने कहा 'वेलकम मोदी'
हिजाब पहने हुए अनेक छात्राओं से जब पूछा गया कि नरेंद्र मोदी को जामिया यूनिवर्सिटी में आना चाहिए या नहीं? जवाब में ज्यादातर छात्राओं ने कहा 'मोदी वेलकम'। हिजाब पहने बीए (आर्ट्स ) द्वितीय वर्ष की छात्रा निशा, अलफ़िशा, आयशा, रेहाना ने कहा 'मोदी हमारे प्रधानमंत्री हैं और उन्हें जामिया यूनिवर्सिटी आना चाहिए। हम उनका खैरमकदम करते हैं। उनको जामिया की हकीकत से रूबरू होना भी चाहिए।'  रेहाना कहती हैं कि 'वह हमारे प्रधानमंत्री हैं, उनको हमारी गिरते हुए शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कुछ खास करना होगा। हमें अब उनके बेहतर फैसले का दिल से इंतज़ार है।'  दूसरी तरफ बीए दूसरे साल की छात्रा अमरीन, कहकशां, एमए ( इतिहास) की छात्रा फातिमा बनो ने अफ़सोस जाहिर करते हुए कहा कि 'मोदी जी ने जामिया यूनिवर्सिटी को कटघरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हम कैसे उनको अपना मानें। उनको नहीं आना चाहिए।'


जामिया स्टूडेंट फोरम भी विरोध की मुहिम में शामिल
मोदी का विरोध करने वालों की अगुवाई करने वाले पूर्व छात्र असद अशरफ ने कहा है कि 'हम मोदी जी के बयान से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनके बयान से जामिया यूनिवर्सिटी की छवि धूमिल हुई है।  हम उनके आने का विरोध नहीं कर रहे हैं। हमारी मांग है कि मोदी अपनी गलती का एहसास कराएं। इसलिए वीसी को लेटर लिखा गया है। हमारा मकसद प्रोग्राम खराब करना कतई नहीं है। इसके बाद भी अगर मोदी जामिया आते हैं तो हम लोकतांत्रिक तरीके से शांति के साथ काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे।' पूर्व छात्रों की इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए जामिया स्टूडेंट फोरम ने छात्रों से दस्तखत की मुहिम शुरू कर दी है। फोरम के कन्वेनर मिरान हैदर और खालिद हसन ने दावा किया है कि 30 नवंबर को वीसी से मुलाकात करके ज्ञापन सौंपा जाएगा। उसमें बड़ी तादाद में जामिया के छात्रों के दस्तखत होंगे।

कैम्पस में  "मोदी बुलाओ" मुहिम छिड़ी
एक तरफ जहां मोदी को आमंत्रित करने का विरोध है वहीं दूसरी तरफ इन विरोध करने वालों के विरोध में ही मुहिम शुरू हो गई है। जामिया के पूर्व छात्रों के एक धड़े ने  "मोदी बुलाओ " मुहिम छेड़ दी है। इसकी अगुवाई कर रहे पूर्व छात्र प्रवीण कुमार अपने समर्थकों के साथ 30 नवंबर को वीसी से मिलेंगे। उन्होंने भी सैकड़ों मौजूदा और पूर्व छात्रों के दस्तखत ज्ञापन पर ले लिए हैं। उनका कहना है कि 'मोदी का विरोध करने वालों का तर्क कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित है साथ ही यूनिवर्सिटी का माहौल खराब करने की साजिश है। मोदी ने 2008 में अपने भाषण में कहीं नहीं कहा कि जामिया के छात्र या यूनिवर्सिटी आतंकवादियों को पनाह देने का काम कर रही है। उनका कहना उनको लेकर था जो आतंकवादी घटनाओं में शामिल थे।' उन्होंने अपील की कि पुरानी घटनाओं को छोड़कर नए सिरे से प्रधानमंत्री का स्वागत करें। एमफिल के छात्र खालिद सैफुल्लाह और दीपक कुमार कहते हैं 'पुरानी बातों को लेकर चिपके रहेंगे तो आगे नही बढ़ पाएंगे। उनको बुलाकर अपनी बात भी हम लोग रख सकते हैं।'

इमाम कौंसिल ऑफ इंडिया मोदी के समर्थन में
इमाम कौंसिल के चेयरमैन मौलाना मकसूद उल हसन कासमी ने जामिया यूनिवर्सिटी में नरेंद्र मोदी को बुलाने का समर्थन किया है। उनका मानना है कि 'जामिया यूनिवर्सिटी कोई प्राइवेट मदरसा नहीं है। मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और संवैधानिक पद पर मौजूद हैं। जामिया यूनिवर्सिटी भी संसद के एक्ट से पास की हुई सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, जिसको केंद्र सरकार फंड देती है। इसलिए प्रधानमंत्री का जामिया में आना कोई गलत नहीं बल्कि स्वागत योग्य है। हम मोदी को बुलाने का समर्थन करते हैं।'

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छात्रों का मोदी से अपने वक्तव पर सफाई पर जोर
डिप्लोमा के छात्र मोहम्मद सलीम आलम, फैजान सैफई, उमर फारुक, निजाम, मोहम्मद हम्बल, परवेज, समीर, नदीम, सलमान, अब्दुल अहद  मोदी को बुलाने का समर्थन करते हैं। साथ ही कहते हैं कि मोदी को अब जामिया के बारे में अपनी राय भी रखनी चाहिए। मोहद हम्बल तो यहां तक कहते हैं कि 2008 की बात अलग थी, अब कहानी बदल चुकी है। अब मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं उनको यूनिवर्सिटी आकर जरूर अपनी सफाई देनी चाहिए। अगर यूनिवर्सिटी के इस बुलावे पर इस बार भी वह नहीं आते हैं तो हम लोग समझेंगे कि वे अब तक अपने बयान पर कायम हैं। अगर आते हैं तो समझा जाएगा कि उनको अपनी गलती का एहसास है।  छात्र आफाक हैदर, बीएससी छात्र राजेश, एमएसडब्लू के छात्र  इरफ़ान खान, एमए की छात्रा आकृति, आतिफ, सिद्धांत, आकाश  कहते हैं 'हम उनके विचारों से सहमत नहीं लेकिन बहैसियत मोदी का यूनिवर्सिटी में स्वागत है।'


यूनिवर्सिटी प्रशासन को विरोध की खबर नहीं
जामिया यूनिवर्सिटी के मीडिया कोऑर्डिनेटर मुकेश रंजन के मुताबिक 'देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। सबको अपना मत देने का अधिकार है। सभी का मत सुनना चाहिए। वैसे अभी तक मोदी के विरोध की उनके पास कोई खबर नहीं आई है। उनका कहना है कि हमने प्रधानमंत्री जी को आमंत्रित किया है। हमें खुशी होगी अगर प्रधानमंत्री जामिया यूनिवर्सिटी आएंगे। उनके आने से हमारी हौसला अफजाई होगी। यूनिवर्सिटी के छात्र पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा चुके हैं।'