मध्यप्रदेश : मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज के 10 साल पूरे, गीता को मिल गए मामा-मामी

मध्यप्रदेश : मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज के 10 साल पूरे,  गीता को मिल गए मामा-मामी

शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

इंदौर:

पाकिस्तान से आई गीता को उसके माता-पिता भले ही अब तक नहीं मिले लेकिन मामा-मामी आज मिल गए। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने रविवार को इंदौर में गीता सहित अन्य मूक-बधिर बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने गीता से कहा कि वह उन्हें अपने मामा-मामी समझे। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया के रूप में रविवार को शिवराज के 10 साल पूरे हुए। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि की खुशी मूक-बधिर विद्यार्थियों के साथ बांटी।

सांकेतिक भाषा में बातचीत
शिवराज सिंह ने इस मौके पर मूक-बधिर विद्यार्थियों को तोहफा देते हुए इस समुदाय के हित में अनेक फैसलों का ऐलान भी किया। शिवराज ने यहां ‘मूक-बधिर संगठन’ के परिसर में रह रही गीता और विशेष जरूरत वाले अन्य विद्यार्थियों से रूबरू हुए और उनकी आपबीती जानी। संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञों ने करीब आधे घंटे की इस भावपूर्ण बातचीत में शिवराज और मूक-बधिर विद्यार्थियों की मदद की।

12वीं में 50 फीसदी अंक वाले मूक-बधिर बच्चों को शिक्षा देकर बनाएंगे शिक्षक
अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ मूक-बधिर विद्यार्थियों से मिलने आए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘गीता बड़ी जद्दोजहद के बाद स्वदेश लौटी है। उसके माता-पिता की तलाश अभी जारी है। लेकिन वह मुझे और मेरी पत्नी को अपने मामा-मामी समझे। प्रदेश सरकार गीता और उसके जैसे विद्यार्थियों का पूरा ध्यान रखेगी।’ शिवराज ने बताया, ‘मैंने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के 11 वें साल की शुरुआत के मौके पर पहला सरकारी फैसला मूक-बधिर विद्यार्थियों के लिए ही किया है। इस फैसले के मुताबिक प्रदेश सरकार 12 वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले मूक-बधिर विद्यार्थियों का डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) और बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) की पढ़ाई का खर्च उठाएगी, ताकि यह विद्यार्थी शिक्षक बन सकें। हम ऐसे 1,000 शिक्षकों को सरकारी पदों पर भर्ती भी करेंगे, ताकि वे अपने जैसे विद्यार्थियों को पढ़ा सकें।’

आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा का खर्च सरकार उठाएगी
शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि अगर किसी मूक-बधिर विद्यार्थी का चयन आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कॉलेजों में होता है, तो उसकी पढ़ाई का खर्च भी प्रदेश सरकार उठाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार हर उत्कृष्ट विद्यालय में ऐसे दो शिक्षकों की नियुक्ति करेगी, जो सांकेतिक भाषा में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित हों।

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सभी संभागीय मुख्यालयों पर विशेष आईआईटी खुलेंगे
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार मूक-बधिर वर्ग के युवाओं को आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अगले एक साल के भीतर सभी 10 संभागीय मुख्यालयों पर विशेष औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) खोलेगी। उन्होंने कहा, ‘सांकेतिक भाषा में औद्योगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था वाले विशेष आईटीआई खोलने वाला मध्यप्रदेश देश का संभवत: पहला राज्य बन जाएगा।’ शिवराज ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार सांकेतिक भाषा को एक जुबान के रूप में आधिकारिक दर्जा देने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही, केंद्र से गुजारिश करेगी कि वह भी सांकेतिक भाषा को आधिकारिक दर्जा दे।