शीना केस में आपकी रुचि है? पढ़ें राहुल की जुबानी दोस्ती से लेकर उसके गायब होने की पूरी कहानी

शीना केस में आपकी रुचि है? पढ़ें राहुल की जुबानी दोस्ती से लेकर उसके गायब होने की पूरी कहानी

शीना और राहलु मुखर्जी की तस्वीर

मुंबई:

32 साल का राहुल मुखर्जी। शीना बोरा हत्याकांड में गिरफ्तार पीटर मुखर्जी का बेटा और शीना का प्रेमी है। सीबीआई की माने तो शीना की हत्या की एक वजह उसका राहुल से प्रेम प्रसंग भी था।

रिश्तों के पेंच में उलझी क़त्ल की इस कहानी में राहुल एक अहम गवाह है। आगे चलकर वह अपने बयान से मुकर नहीं जाये इसलिए सीबीआई ने राहुल का सीआरपीसी 164 के तहत बयान दर्ज करा लिया है। मजिस्ट्रेट के सामने दिए इस बयान से मुकरने वाले पर झूठी गवाही देने का मुकदमा चल सकता है।

एनडीटीवी के पास बयान की कॉपी
एनडीटीवी के पास राहुल की सीबीआई को दिए बयान की कॉपी है जिससे साफ पता चलता है कि  इन्द्राणी ने शीना और राहुल को अलग करने के लिए किस तरह साजिश रची थी। हत्या को छिपाने के लिए किए गए उसके प्रयासों का पता भी चलता है। पीटर का झूठ भी राहुल के इस बयान से ही पता चलता है। सीबीआई ने ये बयान 5 अक्टूबर 2015 को दर्ज किया था।

राहुल मुखर्जी की जुबानी :
राहुल मुखर्जी ने सीबीआई को बताया कि साल 2008 में उसने अपने पिता पीटर मुखर्जी को फ़ोन कर मुम्बई आने की इच्छा जताई। पिताजी मान गए। उसके बाद मैं वर्ली स्थित मार्लो बिल्डिंग में पिता के घर रहने आ गया।

बेटे को किराए के घर में भेजा
वहां मैं तक़रीबन एक महीना रहा। उस दौरान इन्द्राणी की बहन शीना बोरा वहां अक्सर आती थी। तभी हम दोनों में दोस्ती हो गई थी। उसके बाद मैं लन्दन चला गया। लेकिन वहां से भी मैं फ़ोन पर अक्सर उससे बातें किया करता था। 2-3 महीने बाद मैं वापस अपने पिता के घर आ गया। लेकिन मेरे पिता और इन्द्राणी नहीं चाहते थे कि मैं उस घर में रहूं इसलिए उन्होंने खार में किराये का एक घर दिलाया। वह घर इन्द्राणी की ही कंपनी 9x में काम करने वाले कर्ण हुक्कू ने किराये पर ले रखा था। लेकिन वो उसमें नहीं रहता था।
 


अकसर मिलते रहे राहुल और शीना बोरा
कुछ दिन के बाद अपने पिता की मदद से मैं प्राइम फोकस में काम करने लगा। उस दौरान भी मैं और शीना अक्सर मिलते थे। खार के मेरे घर भी शीना आती रहती थी। धीरे-धीरे हम दोनों में प्यार हो गया।  साल 2008 में शीना ने मुझे बताया था कि वो इन्द्राणी की बहन नहीं बल्कि बेटी है।

दोस्ती की खबर से नाराज हो गई इंद्राणी
इन्द्राणी को जब मेरे और शीना के रिश्ते के बारे में पता चला तो उसने पिता पीटर और शीना से झगड़ा किया और शीना को गुवहाटी भेज दिया। इसके बाद भी हम दोनों में बातचीत होती रही। साल 2009 में इन्द्राणी ने शीना को दिल्ली अपने दोस्त विवेक मित्तल के घर भेज दिया। वहां शीना बीमार पड़ गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बीमारी की खबर सुनकर इन्द्राणी भी दिल्ली आ गई। वहां उसने शीना के पुराने प्रेमी कौस्तुभ सैकिया को भी बेंगलुरु से बुला लिया और उसे कहा कि वो शीना को बेंगलुरु ले जाए। बेंगलुरु में कौस्तुभ शीना को अपने साथ रखना चाहता था, लेकिन शीना तैयार नहीं हुई। तब शीना के एक और दोस्त प्रणय ने मुझे फ़ोन कर शीना की बीमारी के बारे में बताया।


इन्द्राणी उसे मानसिक बीमारी की दवाई दिला रही थी
उस समय मेरे पास पैसे नहीं थे। तब मैंने अपने घर का सामान बेचकर कुछ पैसे जमा किए और तुरंत बेंगलुरु चला गया। वहां मैं शीना से मिला वो बहुत कमजोर हो चुकी थी। बेंगलुरु के डॉक्टर को उसे दिखाया, तब उसने शीना की पहले से चल रही दवाई को बंद करवाया। पता चला था कि इन्द्राणी उसे मानसिक बीमारी की दवाई दिला रही थी।

वो दवाइयां बंद कराते ही शीना की तबीयत ठीक होने लगी। उसके बाद मैं उसे लेकर देहरादून अपनी मां के घर चला गया। देहरादून में रहते समय शीना के दादा से पता चला कि गुवाहाटी में रिलायंस की तरफ से शीना की नौकरी का पत्र आया है। उसके बाद हम गुवाहाटी गए। वहां 4 से 5 दिन तक रहे। फिर मुंबई आ गए।

रिलायंस में लगी शीना की नौकरी
शीना को रिलायंस के मरोल ऑफिस में नौकरी मिली। मैं और शीना 2-3 दिन रिलायंस के गेस्ट हाउस में रहे फिर गोरेगांव के मंत्रीपार्क में किराये के मकान में रहने चले गए। उसी दौरान शीना और इन्द्राणी का फ़ोन पर जोरदार झगड़ा हुआ। शीना को पहली बार मैंने जोर से चिल्लाते सुना और फिर वो रोने लगी। उसके बाद मैंने अपने पिता से बात करना बंद कर दिया। शीना ने भी इन्द्राणी से बातचीत बंद कर दी।


इंद्राणी चाहती थी शीना मांगें माफी
मार्च 2011 में जब हम रहेजा हाइट्स में रह रहे थे। तब मैं शीना और मेरी मां शबनम, गोवा में अपनी चचेरी बहन की शादी में शमिल होने गए थे। वहां इन्द्राणी चाहती थी कि मैं और शीना दोनों उससे माफ़ी मांगे। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।

अक्टूबर 2011 में हुई दोनों की सगाई
अक्टूबर 2011 में दीवाली के दौरान हम देहरादून गए। वहां शीना के दादा-दादी की सहमति से हमने सगाई कर ली। सगाई के दिन शीना ने फ़ोन पर अपने पिता सिद्धार्थ दास की मेरी और मां से बात कराई। सिद्धार्थ दास ने मुझसे शीना का ख्याल रखने को कहा।

सगाई से नाराज हो गई थी इंद्राणी
सगाई के कुछ दिन बाद इन्द्राणी को शीना का फ़ोन आया। उसने  बताया कि दोनों की सगाई की बात उसे पता चल गई है। कुछ देर तक दोनों ने बात की कुछ दिन बाद इन्द्राणी ने शीना को डिनर पर बुलाया। मैं खुद शीना को बांद्रा ताज लैंड होटल ले गया। लेकिन अंदर नहीं गया। डिनर के बाद बाहर आने पर शीना ने बताया कि इन्द्राणी का व्यहवार बदला हुआ था। 2- 3 हफ्ते बाद इन्द्राणी ने एक बार फिर शीना को डिनर के लिए ये कहकर बुलाया कि वो सगाई का उपहार देना चाहती है।
 
24 अप्रैल 2012 को शीना को इंद्राणी के पास छोड़ा
24 अप्रैल 2012 की दोपहर को मैं शीना को ऑफिस से अपनी ऑल्टो कार में घर ले आया। कुछ देर बाद जब शीना तैयार हो गई तो मैं उसे अपनी कार में इन्द्राणी के बताई हुई जगह खार में नेशनल कॉलेज के पास ले गया। इन्द्राणी बार-बार फ़ोन कर पूछ रही थी कि कब आ रहे हो। तकरीबन 6.30 बजे हम वहां पहुंचे। मैंने देखा कि इन्द्राणी और ड्राईवर श्यामवर राय शेवरलेट कार के बाहर खड़े होकर शीना का इंतज़ार कर रहे थे। कार के पास एक आदमी सिगरेट पी रहा था। मैंने थोड़ी दूर पर ही अपनी कार रोकी। शीना कार से उतरकर इन्द्राणी की तरफ बढ़ी। उसके बाद मैं वहां से चला गया।

फोन के बजाय एसएमएस से बात करने लगी शीना
कुछ देर बाद मैंने शीना को फ़ोन किया तो उसने फ़ोन उठाने की बजाय मुझे एसएमएस किया। 8 बजे से 11 बजे तक हम एक दूसरे से एसएमएस के जरिये बात करते रहे। शीना ने बताया कि वो इन्द्राणी के साथ भोजन का लुत्फ़ उठा रही है। रात में भी वो इन्द्राणी के साथ ही रुकेगी। सुबह घर वापस आएगी। (गौर करने की बात है कि पुलिस की कहानी के मुताबिक 24 अप्रैल 2012 की शाम को शीना को कार में बैठाने के कुछ देर बाद ही इन्द्राणी उसे कॉलेज के पीछे वाली सुनसान गली में ले गई थी, जहां कार के अंदर ही संजीव खन्ना की मदद से उसने शीना की हत्या कर दी थी। ऐसे में शीना के फ़ोन से एसम एस कौन भेज रहा था।?)

शीना का राहुल को छोड़ने का मैसेज
राहुल के मुताबिक दूसरे दिन सुबह जब शीना वापस घर नहीं आई तो उसने उसे फ़ोन लगाया। लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। राहुल ने आगे बताया कि जब मैंने उसे मेसेज किया तो उसका जवाब आया कि उसे मुझसे भी अच्छा प्रेमी मिल गया है इसलिए मैं उसे भूल जाऊं। उसने ये भी मेसेज किया कि अब वो 2-3 महीने के बाद ही मुझसे मिलेगी। मुझे शक हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है।

पीटर ने भी इंद्राणी वाली बात दोहराई
सबसे पहले मैं वर्ली में पीटर के घर गया। चौकीदार ने बताया कि घर पर कोई नहीं है। मैं सीधे वर्ली पुलिस स्टेशन गया। वहां से 2 पुलिस हवलदार मेरे साथ मार्लो बिल्डिंग में उस घर पर आये। लेकिन वहां कोई नहीं मिला। 25 अप्रैल को ही जब मैं वापस वहां गया तो इन्द्राणी के कंपनी का एक कर्मचारी (प्रदीप वाघमारे)  मुझे वहां मिला। उसने बताया कि वो खुद  2-3 दिन बाद आया है इसलिए उसे कुछ नहीं पता।

थाने-थाने भटका राहुल
मैं बहुत ही परेशान हो गया था। 27 अप्रैल को अपनी मां के साथ मैं वापस वर्ली पुलिस स्टेशन गया। लेकिन पुलिस ने ये कहकर मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया कि वो बालिग है और अपनी मां के साथ कहीं गई है। उसके बाद उन्होंने मुझे अंधेरी में एमआईडीसी पुलिस स्टेशन जाने को कहा। मैं वहां गया तो एमआईडीसी पुलिस ने कहा कि वो जहां से गायब हुई है वहां जाओ। उसके बाद मैं बांद्रा और खार पुलिस स्टेशन गया। लेकिन उन्होंने भी ये कहकर शिकायत लेने से मना कर दिया कि शीना अपनी मां के साथ गई है। जो मैंने ही उन्हें बताया था। उसके बाद मैं एक बार फिर वर्ली में पीटर के घर गया। वहां घर में काम करने वाली एक औरत मिली। उसने बताया कि वो खुद 3-4 दिन से छुट्टी पर थी इसलिए उसे कुछ नहीं पता।

पढ़ाई के लिए विदेश जाने की बात बताई गई
शीना को लेकर मैं बहुत चिंतिंत था। मैं पिता पीटर और इन्द्राणी से फ़ोन पर लगातार बात करने की कोशिश करता रहा। लेकिन वो ये कहकर मुझे टालते रहे कि वो विदेश चली गई है। मैंने शीना के दोस्तों और दादा-दादी से भी पूछताछ की। इस बीच शीना के ऑफिस से भी कुछ लोग मुझसे मिलने घर आये। उन्होंने बताया कि शीना दफ्तर नहीं आ रही है इसलिए वो लैपटॉप और कंपनी का पहचान पत्र लेकर चले गए।

डिप्रेशन में चला गया राहुल
29 अप्रैल 2012 को रिलायंस कंपनी के अफसर ने भी हमसे बात की। शीना के न मिलने पर मैं बहुत निराश हो चुका था। 2 - 3 महीने मैं डिप्रेशन में रहा। आखिर जुलाई 2012 को मैंने घर की मालकिन से घर खाली करने की इच्छा जताई। किराये का करारनामा मेरे और शीना दोनों के नाम पर था इसलिए मकान मालकिन ने शीना के दस्तखत के बिना डिपाजिट वापस करने से मना कर दिया। मैंने पिता पीटर को फ़ोन किया तो उन्होंने मुझे तुरंत सामान लेकर घर से निकल जाने को कहा।

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मिखाइल और विधि ने भी नहीं की मदद
उन्होंने कहा कि वो शीना से बात कर मामले को सुलझा लेंगे। कुछ देर बाद इन्द्राणी ने मुझे फ़ोन कर शीना की वस्तुएं वर्ली में घर पर लाकर देने को कहा। तब मैंने मना कर दिया। मैंने इन्द्राणी से कहा कि शीना को लाओ तभी उसकी वस्तुएं मिलेंगी। उसके बाद मैं सब सामान लेकर देहरादून अपनी मां के पास चला गया। मैंने मिखाइल और विधि से भी शीना के बारे में जानना चाहा लेकिन किसी से भी मुझे कोई मदद नहीं मिली। शीना ने भी मुझे कोई फोन नहीं किया।