कस्टम विभाग में ताउम्र काम करने के बाद अब शहीद हो गया ये 'सोल्जर'

कस्टम विभाग में ताउम्र काम करने के बाद अब शहीद हो गया ये 'सोल्जर'

शहीद गोल्डी की तस्वीर

मुंबई:

कस्टम विभाग में ताउम्र काम करने के बाद 2015 में महकमे से रिटायर होने के बाद गोल्डी की अब मौत हो गई, मौत के बाद उसके शव को तिरंगे में लपेटा गया। पूरा सम्मान दिया गया। गोल्डी की वजह से कस्टम विभाग ने 9 सालों में करोड़ों की ड्रग्स पकड़ी थी।

मुंबई से सटे वसई में गोल्डी के शव को तिरंगे में लपेटकर आखिरी सलामी दी गई। उसके साथ काम कर चुके कस्टम अधिकारी, और आखिरी पलों में गोल्डी की देखभाल करने वाली फिज़ा काफी दुखी दिखाई दीं।

आख़िरी सलामी देने के लिए दौड़े करीबी
कस्टम में सालों तक गोल्डी को हैंडल करने वाले विद्याधर चौहान ने कहा "वो बीमार थी, आज मुझे सूचना मिली तो फॉर्म हाऊस में दौड़ता चला आया, उसे एक आख़िरी सलामी देने के लिए। वहीं आख़िरी पलों में गोल्डी की देखभाल कर रही फिज़ा शाह का कहना था "वो नेशनल हीरो थी, 9 साल तक काम करती रही, 8 साल में आंखें गंवा दी, फिर भी काम किया। रिटायरमेंट के बाद मैंने गोद ले लिया, बहुत प्यारी थी। उसे खाना खाना बहुत अच्छा लगता था, उसने कभी हमें तंग नहीं किया।"

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गोल्डी की निशानदेही पर लगभग ढाई करोड़ की हेरोईन की बड़ी खेप पकड़ी गई
छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए गोल्डी का नाम अंजाना नहीं था, जन्म के दूसरे साल से ही कस्टम्स के लिए ड्रग तस्करी रोकने में जुट गई थी, 2008 में गोल्डी की निशानदेही पर लगभग ढाई करोड़ की हेरोईन की बड़ी खेप पकड़ी गई थी। 11 सितंबर 2015 को गोल्डी रिटायर हुई। 3 महीने बाद अब उसकी मौत हो गई है। कस्टम अधिकारी गोल्डी को प्यार से सोल्जर कहकर पुकारते थे। वो सोल्जर जिसने अपने काम में कभी कोताही नहीं बरती।