इंग्लैंड के खिलाफ वह टेस्ट मैच, जिसने बदल दी थी भारतीय टीम की पहचान

इंग्लैंड के खिलाफ वह टेस्ट मैच, जिसने बदल दी थी भारतीय टीम की पहचान

टीम इंडिया ने दूसरी पारी में छह विकेट गंवाते हुए इंग्लैंड के मैदान पर इतिहास रचा (फाइल फोटो)

खास बातें

  • इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच और सीरीज जीतने में भारत को 30 साल लग गए
  • भारतीय टीम ने 1961 में इंग्लैंड को पांच मैचों की सीरीज में 2-0 से हराया
  • फिर 1971 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड में तीन टेस्ट की सीरीज 1-0 से जीती
नई दिल्ली:

इंग्लैंड टीम इन दिनों भारत के दौरे पर है और दोनों टीमों के बीच राजकोट में पहला टेस्ट मैच खेला जा रहा है. अगर भारत और इंग्लैंड के बीच अब तक हुए टेस्ट मैचों के रिकॉर्ड की बात की जाए तो इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के खिलाफ इंग्लैंड का प्रदर्शन शानदार रहा है. टीम इंडिया के खिलाफ इंग्लैंड की जीत का प्रतिशत 38.5 है, जबकि भारत की जीत का प्रतिशत 18.58 है. दोनों देशों के बीच क्रिकेट का रिश्ता आज़ादी से पहले ही शुरू हुआ था.

पहली टेस्ट सीरीज जीतने में भारत को लगे 30 साल
भारत और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट मैच 1932 में खेल गया, जिसमें अंग्रेज टीम ने 158 रन से जीता था. इस तरह 1932 से लेकर 1959 के बीच दोनों टीमों के बीच सात टेस्ट सीरीज खेले गए, जिसमें छह सीरीज इंग्लैंड ने अपने नाम किए, जबकि एक सीरीज ड्रॉ रही थी.

फिर 1961-62 में इंग्लैंड टीम पांच टेस्ट मैच खेलने के लिए भारत आई. इस सीरीज में भारतीय टीम ने इतिहास रचते हुए इंग्लैंड को 2-0 से हराया और पहला टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब रही. यह पहली बार था, जब इंग्लैंड की टीम सीरीज में कोई भी मैच नहीं जीत पाई थी.

इंग्लैंड में भारत की लगातार छह सीरीज हार
इंग्लैंड की टीम उस वक्त काफी ताक़तवर टीम मानी जाती थी. इंग्लैंड की सरजमीं पर उसे हराना तब बेहद मुश्किल माना जाता था. 1932 से लेकर 1967 के बीच भारत छह बार इंग्लैंड दौरे पर गई थी और हर बार उसे सीरीज में हार का सामना करना पड़ा. सीरीज जीतना तो बहुत दूर इंग्लैंड के मैदान पर भारत एक भी मैच जीत नहीं पाया था. फिर 1971 में टीम इंडिया तीन टेस्ट मैच खेलने के लिए इंग्लैंड गई. देश के लोगों को इस दौरे से काफी उम्मीदें थी. माना जा रहा था कि इंग्लैंड में टीम इंडिया जीत के साथ पहली बार भारत का झंडा लहराएगी.

वह टेस्ट मैच जिसने बदल दी भारत की पहचान
दोनों टीमों के बीच 22 जुलाई को लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया पहला मैच ड्रॉ रहा. इसके बाद 5 अगस्त को मेनचेस्टर के मैदान पर खेला गया दूसरा टेस्ट भी ड्रॉ रहा. फिर 19 अगस्त 1971 को दोनों टीमों के बीच तीसरा टेस्ट मैच शुरू हुआ. टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और 355 रन बनाए. इंग्लैंड टीम के स्कोर के जवाब में टीम इंडिया पहली पारी में 284 रन ही बना पाई और इस तरह इंग्लैंड को पहली पारी में 71 रन की बढ़त मिल गई. टीम इंडिया के खिलाड़ी थोड़ा घबराए हुए थे. फिर इंग्लैंड की दूसरी पारी शुरू हुई. टीम इंडिया के कप्तान अजीत वाडेकर को अपने स्पिन गेंदबाजों पर काफी भरोसा था. वाडेकर ने जल्द ही स्पिन आक्रमण शुरू कर दिया.

स्पिन गेंदबाजों का शानदार प्रदर्शन
बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और आर वेंकटराघवन जैसे स्पिन गेंदबाज टीम में थे. ये तीनों गेंदबाज़ इंग्लैंड की पहली पारी में छह विकेट लेने में कामयाब हुए थे. अब इन गेंदबाजों पर काफी दबाव था. कप्तान ने चंद्रशेखर को गेंदबाजी के लिए बुलाया और उनकी फिरकी के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाज फंसते चले गए.

चंद्रशेखर ने इंग्लैंड के छह बल्लेबाजों को पैवेलियन भेजा. वेंकटराघवन को दो विकेट मिले और बिशन सिंह बेदी भी एक विकेट लेने में कामयाब हुए. इंग्लैंड की पूरी टीम दूसरी पारी में महज 101 रन बनाकर आउट हो गई. अब टीम इंडिया को जीतने के लिए 173 रन चाहिए थे. लक्ष्य तो कम था, लेकिन आसान नहीं... इंग्लैंड के घरेलू मैदान और घरेलू दर्शकों के सामने टीम इंडिया दवाब में थी.  

कप्तान वाडेकर और दिलीप सरदेसाई की शानदार बल्लेबाजी
टीम इंडिया का स्कोर जब बस दो रन था, तब बिना रन बनाए सुनील गावस्कर आउट हो गए. टीम इंडिया इससे काफी दवाब में आ गई. अशोक मांकड़ भी सिर्फ 11 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. फिर अजीत वाडेकर और दिलीप सरदेसाई ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को जीत के करीब पहुंचाया. कप्तान वाडेकर ने टीम की ओर से सबसे ज्यादा 45 रन बनाए, जबकि सरदेसाई ने 40 रनों की पारी खेली. वहीं गुंडप्पा विश्वनाथ ने 33 रन बनाए.

टीम इंडिया ने दूसरी पारी में छह विकेट गंवाते हुए इंग्लैंड के मैदान पर इतिहास रचा और मैच जीतने के साथ-साथ सीरीज भी अपने नाम कर लिया. इस जीत से भारतीय क्रिकेटरों की खुशी का ठिकाना नहीं था और वे तिरंगे के साथ पूरे मैदान का चक्कर लगा रहे थे.

भारत में हुआ ज़ोरदार स्वागत
इंग्लैंड में मिली इस सीरीज जीत ने टीम इंडिया की किस्मत ही बदल दी. टीम जब दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पहुंची, तब एयरपोर्ट के बाहर प्रशंसकों की लंबी लाइन लगी थी. लोग अपने सितारों की एक झलक के लिए कई घंटों से इंतजार कर रहे थे. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में इन खिलाड़ियों के स्वागत में एक समारोह भी रखा गया, जिसमें कई हजार लोग शामिल हुए थे.

कप्तान अजीत वाडेकर और अन्य खिलाड़ी जब दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे, तब एयरपोर्ट के रास्ते में दस किलोमीटर तक लोगों का लंबा काफिला था. हाथों में तिरंगा और फूल माला लेकर लोग एयरपोर्ट पर खड़े थे. इन खिलाड़ियों के स्वागत में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में भी खिलाड़ियों के लिए एक रिसेप्शन रखा गया था, जिसमें कई मशहूर हस्तियां शामिल हुईं.

इस रिसेप्शन में भारत के महान क्रिकेटर विजय मर्चेंट ने टीम की तारीफ करते हुए कहा था, 'अजीत एक बड़ा सपना पूरा हुआ है. भगवान आपको और 1971 के सभी क्रिकेटरों को आशीर्वाद दे, जिन्होंने भारत के इस सपने को पूरा किया है.'


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