जानिए, 140 की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले भारतीय तेज गेंदबाज 19 वर्षीय अवेश खान के बारे में

जानिए, 140 की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले भारतीय तेज गेंदबाज 19 वर्षीय अवेश खान के बारे में

इंदौर:

अंडर-19 वर्ल्ड कप के दूसरे लीग मैच में टीम इंडिया की जीत में सबसे अहम भूमिका तेज गेंदबाज अवेश खान की रही। 140 किमी की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले इस तेज गेंदबाज ने न्यूजीलैंड के टॉप ऑर्डर को धराशायी कर उनकी बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी। वर्ल्ड कप के पहले मैच में आयरलैंड के खिलाफ भी उन्होंने दो विकेट लिए थे, लेकिन न्यूजीलैंड जैसी मजबूत और तेज गेंदबाजी को खेलने में माहिर टीम के आगे उनका यह प्रदर्शन उनकी क्लास को दर्शाता है।

मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाले 19 साल के 6 फीट 2 इंच लंबे इस खिलाड़ी का नाम इससे पहले पिछले अंडर-19 वर्ल्ड कप के दौरान उभरा था, जब उन्होंने 139.8 किमी की रफ्तार से गेंद फेंककर सबको चौंका दिया था।

दरअसल ऐसा पहली बार नहीं है, जब अवेश ने घातक गेंदबाजी की है। इससे पहले भारत और बांग्लादेश के बीच 20 नवंबर को खेले गए अंडर-19 त्रिकोणीय वनडे सीरीज के मैच में भी इस युवा तेज गेंदबाज ने अपनी रफ्तार से बांग्लादेशी बल्लेबाजों को झकझोर कर रख दिया था। इस मैच में अवेश ने 6 ओवर में 4 रन देकर 4 विकेट लिए थे।

इस प्रदर्शन के बाद हमने उनके कोच टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर अमय खुरासिया से खास बातचीत की थी। खुरासिया ने NDTV से कहा था कि अवेश 140 किमी से अधिक की रफ्तार भी निकाल सकते हैं। आइए जानते हैं कि अवेश के बारे में कोच अमय ने और क्या कहा था-

अमय खुरासिया से ले चुके हैं प्रशिक्षण
दरअसल अवेश को इंदौर में टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर अमय खुरासिया के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिला। दरअसल अमय पिछले 8 साल से स्टेट अकादमी के चीफ हैं, जो एमपी में क्रिकेट का टैलेंट तलाशकर इसे निखारने का काम कर रही है।

इन-स्विंग और आउट-स्विंग दोनों में माहिर
भारत के विस्फोटक बल्लेबाज और अवेश के कोच अमय ने बताया कि उनकी स्पीड 140 किमी तक है और वे अपनी लंबाई और मजबूत कंधों की वजह से इससे अधिक की गति से भी गेंदबाजी कर सकते हैं। इन-स्विंग और आउट-स्विंग दोनों में अवेश को महारत हासिल है, जो उन्हें विशिष्ट गेंदबाज बनाती है। वे यॉर्कर और स्लोअर गेंदे भी फेंक लेते हैं।

मजबूत कद-काठी
कोच अमय ने बताया कि अवेश की लंबाई 6 फ़ीट 2 इंच है। वे मजबूत कद काठी के धनी हैं। इसी वजह से वे गेंद को सही ढंग से हिट कर पाते हैं। वे एमपी रणजी टीम में हैं और जूनियर वर्ल्ड कप में उन पर सबकी निगाह होगी। यदि वे इसी तरह प्रदर्शन करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब वे टीम इंडिया में खेलते दिखें।

14 साल की उम्र से ही स्पीड प्लस पॉइंट रही
खुरासिया ने बताया कि दाएं हाथ के तेज गेंदबाज अवेश 14 साल की उम्र में स्टेट एकेडमी से जुड़े थे। हालांकि उस समय वे दुबले-पतले थे। अब उनके कंधे और शरीर स्ट्रांग हो गया है। स्पीड शुरू से ही उसका प्लस पॉइंट रही है।

द्रविड़ से सीखेगा
अमय के अनुसार जूनियर टीम में रहते हुए राहुल द्रविड़ के निर्देशन में उसे बहुत सीखने का मौका मिलेगा। इससे वह मेंटली टफ भी बनेगा।

अमय ने कहा, 'बेशक अवेश की प्रतिभा मेरे मार्गदर्शन में तराशी गई, लेकिन इसमें मुझसे ज्यादा श्रेय उसी का है। उसने खूब मेहनत कर अपनी बॉलिंग को धारदार बनाया। मेरा काम बस उसके टैलेंट को सही दिशा देना था।'

अपने अंदाज में खेलना चाहते हैं
अवेश ने साल्टलेक के जाधवपुर यूनिवर्सिटी ग्राउंड में 4 रन देकर 4 विकेट लेने के बाद कहा है कि उन्हें कई खिलाड़ी पसंद हैं, लेकिन आइडल कोई भी नहीं है, इसलिए वे किसी का नाम नहीं बता सकते। वे अपनी तरह से खेलना चाहते हैं।

खान ने यह भी कहा कि उनका जोर मीडियम पेस पर नहीं है। वे केवल तेज गेंदबाजी करना चाहते हैं।

मेहनती होने के साथ-साथ अच्छे लर्नर भी
अमय के मुताबिक अवेश मेहनती क्रिकेटर होने के साथ-साथ अच्छे लर्नर भी हैं, जिसका प्रदर्शन उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ हुए मैच में किया है। जैसा कि मैच के बाद खुद अवेश ने बताया कि टीम इंडिया के महज 158 रन पर सिमट जाने के बाद कोच राहुल द्रविड़ ने खान से कहा, 'रिजल्ट की चिंता मत करो, केवल विकेट-टू-विकेट बॉलिंग करो।'

फिर क्या था अवेश ने इसे सूत्र वाक्य बना लिया और बिल्कुल वैसा ही किया। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने पहली ही गेंद पर टीम को सफलता दिला दी। इतनी ही नहीं इसके बाद 3 और बांग्लादेशी बल्लेबाजों को पैवेलियन की राह दिखा दी।

पिता भी खेलते थे क्रिकेट
अवेश के पिता भी स्थानीय स्तर पर क्रिकेट खेलते थे और अवेश ने अपने पिता से प्रेरित होकर क्रिकेट खेलना शुरू किया। सबसे पहले इंदौर कॉल्ट्स क्लब ज्वाइन किया। इसके बाद उन्हें अमय खुरासिया ने स्टेट एकेडमी में ले लिया।

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अवेश ने अपनी सफलता का श्रेय कोच अमय खुरासिया को देते हुए कहा, "मैं आज जो कुछ भी हूं, वह अमय सर की वजह से है। उन्होंने ही मुझे गाइड किया और हर समय मेरा सपोर्ट किया। उनके बिना यह संभव नहीं था।'