यह ख़बर 12 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सहारा विवाद पर फैसला करेगी बीसीसीआई की कार्य समिति

खास बातें

  • बीसीसीआई ने रविवार को फैसला किया कि नाराज सहारा समूह से जुड़े सभी मुद्दों को उसकी कार्य समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में उठाया जाएगा जिसमें समझौते के फार्मूले को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
मुंबई:

बीसीसीआई ने रविवार को फैसला किया कि नाराज सहारा समूह से जुड़े सभी मुद्दों को उसकी कार्य समिति की सोमवार को होने वाली बैठक में उठाया जाएगा जिसमें समझौते के फार्मूले को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।

बीसीसीआई और बोर्ड से नाता तोड़ने वाले सहारा समूह के आला अधिकारियों ने मतभेद के लिए जिम्मेदार सभी मुद्दों पर चर्चा की और इस तरह के संकेत मिले हैं कि इस मामले का हल ढूंढ लिया गया है।

दोनों पक्ष इस मुद्दे पर कल बीसीसीआई की कार्य समिति की चेन्नई में होने वाली बैठक में आगे की चर्चा पर राजी हो गए हैं लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि आज हुई अहम बैठक का क्या नतीजा निकला।

पता चला है कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने की दिशा में काफी आगे बढ़े हैं। मतभेदों के कारण ही सहारा समूह भारतीय क्रिकेट टीम के प्रायोजन से हट गया था जबकि उसने आईपीएल फ्रेंचाइजी पुणे वारियर्स का मालिकाना हक भी छोड़ दिया था।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘सहारा और बीसीसीआई ने आज बैठक की और सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा की और इस बात पर सहमति बनी कि बीसीसीआई की कल होने वाली कार्य समिति की बैठक में इस मुद्दे पर आगे चर्चा की जाएगी।’ बयान के मुताबिक, ‘बातचीत में आईपीएल सहित भारतीय क्रिकेट के हितों पर ध्यान केंद्रित था।’

लगभग डेढ़ घंटे चली बैठक में सहारा समूह की अगुआई इसके प्रमुख सुब्रत राय ने की जबकि बीसीसीआई की ओर से इसके अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, सचिव संजय जगदाले, कोषाध्यक्ष अजय शिर्के और आईपीएल प्रमुख राजीव शुक्ला मौजूद थे। एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि आज बैठक में लिए गए कुछ फैसलों को कल चेन्नई में कार्य समिति की बैठक के दौरान स्वीकृति दी जाएगी।

सूत्र ने कहा, ‘कुछ फैसलों को कार्य समिति से स्वीकृति मिलनी जरूरी है इसलिए आज उनकी घोषणा नहीं की गई।’ पता चला है कि अन्य फ्रेंचाइजियों से युवा खिलाड़ियों को रिण पर लेने के सहारा के आग्रह पर अन्य टीमों और संबंधित पक्षों से चर्चा के बाद विचार किया जा सकता है। समझौते के फार्मूले के तहत बीसीसीआई ने कुछ वास्तविक शिकायतों के हल में अधिक लचीलापन दिखाया है लेकिन सहारा से आग्रह किया है कि वह अपना अनुबंध खत्म होने तक भारतीय क्रिकेट टीम का प्रायोजन जारी रखे।

बैठक के बाद दोनों पक्षों ने भविष्य की कार्रवाई के लिए आंतरिक बैठक की। सहारा प्रमुख राय ने अपने करीबी लोगों और अपनी आईपीएल टीम पुणे वारियर्स के शीर्ष प्रबंधन के साथ बैठक की।

बीसीसीआई के आला अधिकारियों ने भी कुछ देर अलग से बैठक की। आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने आईपीएल सीईओ सुंदर रमन के साथ भी बैठक की। ग्यारह साल से भी अधिक समय तक भारतीय टीम के प्रायोजक रहे सहारा ने चार फरवरी को बीसीसीआई से अलग होने का फैसला करते हुए शिकायत की थी कि बोर्ड ने खिलाड़ियों और आईपीएल मैचों से संबंधित उसकी वास्तविक शिकायतों पर विचार नहीं किया। सहारा ने बेंगलूर में आईपीएल की नीलामी शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही बीसीसीआई से नाता तोड़ने का फैसला किया गया था।

सहारा ने बीसीसीआई के साथ एक जुलाई 2010 को नया प्रायोजन अनुबंध किया था जो 31 दिसंबर 2013 तक प्रभावी है और इसके तहत उसे प्रत्येक टेस्ट, एकदिवसीय और अंतरराष्ट्रीय ट्वेंटी20 मैच के लिए बोर्ड को तीन करोड़ 34 लाख रुपये देने है। इस करार को 532 करोड़ रुपये का माना जा रहा है। सहारा पिछले साल आईपीएल से जुड़ा था जब उसने पुणे फ्रेंचाइजी को 1702 करोड़ में खरीदा था और इस तरह यह टीम इस ट्वेंटी20 प्रतियोगिता की सबसे महंगी फ्रेंचाइजी बनी थी।

अगर कोई हल नहीं निकलता है तो बीसीसीआई को लगभग 2000 करोड़ का नुकसान हो सकता है। बोर्ड हालांकि कोई और प्रायोजक ढूंढकर इस नुकसान की भरपाई कर सकता है।

दोनों पक्षों के बीच मतभेद का कारण सहारा का युवराज सिंह का विकल्प मांगना था जो अमेरिका में फेफड़े के घातक ट्यूमर का इलाज करा रहे हैं। फ्रेंचाइजी चाहती थी कि युवराज का 18 लाख डालर का वेतन उनके 16 लाख डालर की नीलामी राशि में शामिल हो जाए। नीलामी के लिए टीम के पास शुरूआत में 20 लाख डालर थे लेकिन उसने चार लाख डालर सौरव गांगुली को अपने साथ बरकरार रखने पर खर्च कर दिए।

बीसीसीआई ने सहारा के आग्रह को मानने से इंकार कर दिया और गांगुली को युवराज का विकल्प भी नहीं माना जिससे कि टीम 20 लाख डालर की पूरी नीलामी राशि के साथ उतर सके।

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एक अन्य मुद्दा यह था कि सहारा ने टीम को 94 मैचों को ध्यान में रखकर खरीदा था जबकि पिछले साल टूर्नामेंट में सिर्फ 74 मैच खेले गएं। सहारा कम हुए मैचों की राशि वापस चाहता था।