शतक बनाकर अंतिम पारी को ब्रैंडन टेलर ने बनाया यादगार

जिम्बाब्वे की ओर से अपने अंतिम मैच को ब्रैंडन टेलर ने यादगार बना दिया। उन्होंने भारत के खिलाफ ऑकलैंड मुकाबले में शानदार शतक बनाया। टेलर ने किस अंदाज में बल्लेबाज़ी की, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मोहम्मद शमी की गेंद पर शानदार छक्का लगाकर अपना शतक पूरा किया। 110 गेंदों पर 5 छक्के और 15 चौकों की मदद से टेलर ने 138 रन बनाए।

टेलर ने वर्ल्ड कप के लगातार दूसरे मैच में अपना शतक जमाया। इससे पहले उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ होबार्ट में 121 रनों की पारी खेली। टेलर वर्ल्ड कप इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग के बाद महज दूसरे कप्तान हैं, जिन्होंने कप्तान के तौर पर लगातार दो मैचों में शतक बनाया है।

हालांकि वर्ल्ड कप में लगातार दो मैचों में शतक बनाने वाले टेलर नौवें बल्लेबाज़ हैं। इस दौरान वे जिम्बाब्वे की ओर से एक ही वर्ल्ड कप में 400 रन से ज्यादा बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ बन गए हैं।

वैसे टेलर के वनडे करियर का ये आठवां शतक है, ये जिम्बाब्वे की ओर से सबसे ज्यादा वनडे शतक का रिकॉर्ड है। टेलर ने एलिस्टर कैंपबेल के सात शतकों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।

29 साल के ब्रैंडन टेलर ने अपनी पारी के 66 रन पूरे किए तब जिम्बाब्वे की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वालों में तीसरे नंबर पर पहुंच गए। एंडी फ्लावर के 6786 और ग्रांट फ्लावर के 6571 रनों के बाद टेलर के नाम 167 वनडे मैचों में 5358 रन हैं।

पिछले कई सालों से जिम्बाब्वे की बल्लेबाज़ी के अधारस्तंभ रहे। उन्होंने 23 टेस्ट मैच और 26 टी 20 मैच खेले हैं।
टेलर का जिम्बाब्वे से नाता भले टूट जाएगा, लेकिन वे क्रिकेट खेलते रहेंगे। वे अब इंग्लैंड के नाटिंघमशायर से क्रिकेट खेलेंगे और इंग्लैंड की टीम में आने की कोशिश करेंगे हालांकि इसके लिए उन्हें तीन साल तक काउंटी क्रिकेट में अपनी प्रतिभा साबित करनी होगी।

दरअसल, टेलर जिस अनुबंध के तहत इंग्लैंड जा रहे हैं, उसे कोलपाक अनुबंध कहते हैं, जो काउंटी टीमों को विदेशी खासकर अफ्रीकी देशों के खिलाड़ियों को अपने देश में आकर खेलने की इजाजत देते हैं।

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टेलर जिम्बाब्वे की ओर से कायल जार्विस के बाद दूसरे ऐसे क्रिकेटर हैं, जो इंग्लैंड की ओर से खेलने जा रहे हैं। जार्विस अगस्त, 2013 में लैंकाशायर से जुड़े थे।

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