यह ख़बर 11 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

टेस्ट क्रिकेट पसंद करने को मजबूर नहीं कर सकते : तेंदुलकर

खास बातें

  • भारत के अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों में टेस्ट क्रिकेट को लेकर उदासीनता पर बहस लंबे समय से चल रही है लेकिन सचिन तेंदुलकर का मानना है कि क्रिकेटरों को पांच दिनी प्रारूप पसंद करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
नई दिल्ली:

भारत के अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों में टेस्ट क्रिकेट को लेकर उदासीनता पर बहस लंबे समय से चल रही है लेकिन सचिन तेंदुलकर का मानना है कि क्रिकेटरों को पांच दिनी प्रारूप पसंद करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

तेंदुलकर ने कहा,‘टेस्ट क्रिकेट के लिए प्यार अंदर से उमड़ना चाहिए। ऐसा कोई फार्मूला नहीं है कि उसे करने के बाद आप टेस्ट क्रिकेट को पसंद करने लगेंगे। मैं भारत के लिए खेलने का सपना देखकर बड़ा हुआ। मेरा वही सबसे बड़ा लक्ष्य था कि मैं भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलूं और अच्छा खेलूं।’ उन्होंने कहा,‘हर अभ्यास सत्र में मैं कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार था। कोच जो चाहते थे, मैं करता था। मैं सिर्फ भारत के लिए खेलना चाहता था। कई क्रिकेटरों को लगता होगा कि टेस्ट क्रिकेट नहीं खेला तो कोई बात नहीं।’

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अब तक 188 टेस्ट मैचों में 15470 रन बना चुके तेंदुलकर ने कहा,‘यदि कोई टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहता है तो उसे कड़ी मेहनत करने को तत्पर रहना होगा। मुझे यह पसंद नहीं है कि किसी को टेस्ट क्रिकेट से प्यार करने के लिए मजबूर किया जाए।’ खिलाड़ियों के साथ बेहतरीन तालमेल बनाने में कैसे कामयाब रहे, यह पूछने पर उन्होंने कहा,‘एक दूसरे का स्वभाव, आदत और विभिन्न हालात में प्रतिक्रियाओं के बारे में जानना जरूरी है। मैंने इस टीम के साथ काफी समय खेल लिया है। एक समय ऐसा था जब मैं भारतीय टीम में छह साल से खेल रहा था जब राहुल और सौरव आए ही थे।’