यह ख़बर 19 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

तेंदुलकर के राज्यसभा नामांकन को चुनौती देने वाली अर्जी खारिज

खास बातें

  • दिल्ली के पूर्व विधायक रामगोपाल सिंह सिसौदिया द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि सचिन तेंदुलकर के पास 'विशेष ज्ञान और व्यवहारिक अनुभव' नहीं है, जबकि संविधान के 80वें अनुच्छेद के मुताबिक इस तरह के नामांकन के लिए ऐसा होना आवश्यक है।
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के राज्यसभा के लिए नामांकन को चुनौती देने वाली एक याचिका बुधवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति डी मुरुगेसन व न्यायमूर्ति राजीव एंडलॉ की खंडपीठ ने दिल्ली के एक पूर्व विधायक रामगोपाल सिंह सिसौदिया द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।

याचिका में कहा गया था कि तेंदुलकर के पास 'विशेष ज्ञान और व्यवहारिक अनुभव' नहीं है, जबकि संविधान के 80वें अनुच्छेद के मुताबिक इस तरह के नामांकन के लिए ऐसा होना आवश्यक है। वैसे केंद्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि तेंदुलकर का राज्यसभा के लिए नामांकन संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक हुआ है।

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सरकार द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है, केवल चार श्रेणियों (साहित्य, विज्ञान, कला व सामाजिक सेवा) में ही 'विशेष ज्ञान और व्यवहारिक अनुभव' का होना आवश्यक नहीं है, इसमें खेल, शिक्षा, कानून, इतिहास, अकादमिक उपलब्धियों, अर्थशास्त्र, पत्रकारिता, संसदीय प्रक्रियाओं, लोक प्रशासन, कृषि, खेल (कुश्ती) या मानव उद्यम के ऐसे ही अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। सरकार ने 26 अप्रैल को तेंदुलकर को अभिनेत्री रेखा व उद्योगपति अनु आगा के साथ राज्यसभा के लिए नामांकित किया था।