मैं देखने जाऊंगा दक्षिण अफ़्रीका बनाम श्रीलंका का क्वार्टर फ़ाइनल मैच : ब्रायन लारा

ब्रायन लारा की फाइल फोटो

नई दिल्‍ली:

पूर्व कैरीबियाई कप्तान ब्रायन लारा इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में हैं और क्वार्टर फ़ाइनल के एक ख़ास मुक़ाबले को लेकर वो ख़ासे उत्साहित हैं। 18 मार्च को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दो ऐसी टीमों के बीच टक्कर है जिसमें एक टीम की साख़ टूर्नामेंट की शुरुआत से अबतक थोड़ी कम हुई है तो दूसरी टीम का रुतबा मैच-दर-मैच बढ़ता गया है।

वर्ल्ड कप की आख़िरी आठ टीमों की जंग में सबसे पहली टक्कर पूर्व चैंपियन श्रीलंका और सबसे मज़बूत दावेदारों में से एक दक्षिण अफ़्रीका के बीच है। ब्रायन लारा कहते हैं कि ये क्वार्टरफ़ाइनल बेहद रोमांचक होगा और इसे देखने वो 18 मार्च को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर भी ज़रूर जाएंगे।

दक्षिण अफ़्रीकी टीम ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर अभ्यास करना शुरू कर दिया है। सोमवार को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर अभ्यास के दौरान दक्षिण अफ़्रीकी कोच रसेल डोमिंगो कप्तान एबी डिविलियर्स से काफ़ी देर बातचीत करते नज़र आए। बहुत मुमकिन है कि ये बातचीत इस वक्त टीम की रणनीति या खेल या खिलाड़ियों के किसी ख़ास पहलू को लेकर ही होगी। लेकिन इस टीम पर 1992 से ही चोकर्स का तमगा लगा हुआ है। प्रोटियाज़ टीम वर्ल्ड कप में तीन बार सेमीफ़ाइनल और दो बार क्वार्टरफ़ाइनल राउंड से बाहर हो गई। जबकि लगभग हर बार इसे ख़िताब का मज़बूत दावेदार माना जाता रहा।

प्रोटियाज़ की मुश्किल बिल्कुल अलग है। इसलिए इसका हल भी बिल्कुल अलग ढूंढा जा रहा है। दक्षिण अफ़्रीकी टीम खुद से चोकर्स का तमगा हटाने के लिए एक ऐसे शख़्स की मदद ले रही है जिसने आमेज़ॉन में सांप को निगलने वाली पिरान्हा मछली और ख़तरनाक घड़ियाल की बाधाओं को पार किया है और विषुवत रेखा की परिक्रमा भी की है। कोच डोमिंगो ने एडवेंचरर और मेंटल ट्रेनर माइक हॉर्न से सलाह मांगी है ताकि टीम दबाव में फिर बिखर नहीं जाए। माइक हॉर्न 2011 वर्ल्ड कप से पहले पहले टीम इंडिया के खिलाड़ियों की भी ऐसी मदद कर चुके हैं।

सिडनी में 18 मार्च को प्रोटियाज़ लंकन लायन्स के ख़िलाफ़ उतरेंगे जिसे लेकर इन दोनों टीमों के अलावा भी कई दिग्गजों में दिलचस्पी बरक़रार है। यहां तक कि पूर्व कप्तान ग्रेम स्मिथ और पूर्व ऑलराउंडर ज़ॉक कैलिस भी टीम के चोकर्स तमगे को लेकर फ़िक्रमंद नज़र आते हैं। ग्रेम स्मिथ कहते हैं कि पिछले वर्ल्ड कप से लेकर अब तक ये टीम 10 में से तीन बार ही 240 से बड़े लक्ष्य का पीछा कर पाई है। यानी क्वार्टरफ़ाइनल में कहीं दक्षिण अफ़्रीकी टीम को लक्ष्य का पीछा करना पड़ा तो उनकी मुश्किलें आसान नहीं होने वाली।

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माइक हॉर्न, एक दक्षिण अफ़्रीकी रेडियो के इंटरव्यू में कहते हैं, 'मैं एक मैच नहीं हारता, मैं ज़िन्दगी हारता हूं और मेरा कमिटमेंट बिल्कुल अलग होता है.' वो ये भी कहते हैं, 'मैं सिर्फ़ खेलता नहीं, मैं जीत के लिए खेलता हूं।' ज़ाहिर है माइक हॉर्न का ये रवैया एक विनर का रवैया है। दक्षिण अफ़्रीकी टीम पर इस मेंटल ट्रेनर का वाकई कितना असर होगा और प्रोटियाज़ इस हैरतअंगेज़ शख़्स से कितना सबक़ ले पाए हैं ये देखना बेहद दिलचस्प होगा।