बड़ी मेहनत से यहां पहुंचा हूं, जश्न क्यों न मनाऊं : इमरान ताहिर

बड़ी मेहनत से यहां पहुंचा हूं, जश्न क्यों न मनाऊं : इमरान ताहिर

नई दिल्ली:

दुनिया के महानतम लेग स्पिनर शेन वॉर्न की कमाल की शख्सियत की वजह से अब किसी भी उम्दा लेग स्पिनर को लेकर एक अलग धारणा ज़रूर बनने लगती है। शायद यही वजह है कि लाहौर में जन्मे, इंग्लैंड के घरेलू क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाने वाले, दक्षिण अफ़्रीका के लिए टेस्ट और वनडे में धाक जमाने वाले और अब आईपीएल में सबको अपना लोहा मनवाने वाले 36 साल के लेग स्पिनर इमरान ताहिर को लेकर भी एक अलग छवि बनती है।

आईपीएल 8 में अब तक 13 विकेट लेकर दिल्ली जैसी टीम के हीरो बने हुए इमरान ताहिर का व्यक्तित्व को लेकर जितने रहस्य बनते दिखते हैं हक़ीकत में इमरान उतने ही सरल नज़र आते हैं। उनकी गेंद में जितनी वेराइटी है, खेल को लेकर रवैया उतना ही सीधा। वो कहते हैं कामयाबी हासिल करने का एक ही एक मंत्र है- मेहनत।

इमरान ताहिर से मुलाक़ात का मौक़ा मिला तो उनके खेल के साथ उनकी शख़्सियत को समझने को लेकर भी बड़ी जिज्ञासा थी। कमाल की शख्सियत हैं इमरान। एक गेंदबाज़ जो पाकिस्तान में बड़ा हुआ और वहीं क्रिकेट सीखी, नाकाम होकर इंग्लैंड पहुंचा, वहां एक दक्षिण अफ्रीकी लड़की से प्यार हुआ तो उससे शादी कर दक्षिण अफ्रीका पहुंचा, और प्रोटियाज़ के लिए टेस्ट और विश्व कप खेलने में कामयाब हुआ और फ़िर आईपीएल में अब भारत में जादू बिखेर रहा है।

इमरान की कहानी बॉलीवुड का मसाला नज़र आती है। लेकिन इमरान लगातार संघर्ष से लेकर कामयाबी के सफ़र को अंजाम देते नज़र आते हैं। दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में रुके इमरान से मिलना मुकर्रर हुआ। वहां पहुंच कर फ़ोन किया तो इमरान ने कहा 'भैया बस अभी आ रहा हूं।' इमरान कान पर फ़ोन लगाए लिफ्ट से बाहर आए, फिर सीधे ऐसे मिले जैसे इस संवाददाता को लंबे समय से जानते हों।

हैरानी तब हुई जब उन्होंने बताया कि देश के कई बड़े क्रिकेट रिपोर्टरों से मिलने के बावजूद टेस्ट और वनडे सहित फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में 800 से ज़्यादा विकेट (टेस्ट 43, वनडे 59, फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट 711 विकेट) लेनेवाले इस गेंदबाज़ का आईपीएल-8 में किसी भी टीवी पत्रकार से ये पहली मुलाक़ात है।

इमरान को देखकर भी लगा जैसे कैमरे और बाकी तामझाम को देखकर अक्सर खिलाड़ी टीवी वालों से परहेज़ ही करते हैं। इमरान ताहिर से पहला सवाल लेग स्पिन के बारे में पूछा तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से कहा कि लेग-स्पिनर या तो आपको मैच जिताते हैं, या मैच हराते हैं। फिर सवाल उनसे छाती ठोककर जश्न मनाने के तरीके के बारे में पूछा तो उनके चेहरे पर हंसी आ गई। उन्होंने एक लंबी सांस लेकर कहा, 'बड़ी मेहनत से यहां पहुंचा हूं तो जश्न क्यों न मनाऊं? मैं कुछ सोचता नहीं हूं, बस अपने क्रिकेट का लुत्फ़ उठा रहूं हूं।'

इमरान ठीक कहते हैं। पाकिस्तान के लिए अंडर-19 क्रिकेट खेलने के बाद उनका करियर थम सा गया था और बाकी क्रिकेटरों की तरह उन्होंने पैसे कमाने के लिए इंग्लैंड का रुख कर लिया। इंग्लैंड में वो क्रिकेट खेल ही रहे थे कि उनकी मुलाकात भारतीय मूल कि सुमैया दिलदार से हुई जो दक्षिण अफ्रीका में बस गई थीं। दोनों के बीच प्यार ने निकाह की शक्ल ले ली और इमरान ताहिर पहुंच गए दक्षिण अफ्रीका। इमरान को ये मानने में बिलकुल भी हिचकिचाहट नहीं होती कि वो आज जो भी कुछ हैं अपनी पत्नी की वजह से हैं।

'हमारा एक छोटा बेटा है और मैं अपने करियर के सबसे अच्छे मुक़ाम पर हूं। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दक्षिण अफ्रीका की ओर से टेस्ट मैच खेलूंगा या फिर विश्व कप खेलूंगा।' इमरान के व्यवहार में बड़ी सादगी नज़र आती है। आपसे थोड़ी भी पहचान हो जाए तो सहजता से जवाब देते हैं।

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जीवन में जब बड़ी नाउम्मीदी के बाद अगर कामयाबी मिलती है तो या आप घमंडी जो जाते हैं या बिल्कुल विनम्र। ताहिर में विनम्रता ज़्यादा नज़र आती है। इमरान अपने बुरे दिन नहीं भूले। ना ही वो उन लोगों को भूले हैं जो बुरे वक्त में उनके साथ थे। वो बड़े प्यार और आदर से अपने पुरानी साथियों के अहसान अब भी याद करते हैं। जाते-जाते उन्होंने एक बात बोली जो ज़ेहन में घर कर गई। इमरान ने कहा, 'महावीर भाई वक्त अच्छा भी आता है और बुरा भी। पर उम्मीद करता हूं कि जब बुरा वक्त आएगा तब भी आप याद करोगे।'