यह ख़बर 25 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

वनडे : भारत को जीत के लिए बल्लेबाजों का चलना जरूरी

ब्रिस्टल:

भारतीय क्रिकेट टीम के पिछले एकदिवसीय प्रदर्शनों को देखा जाए तो इंग्लैंड के खिलाफ सोमवार से शुरू हो रही एकदिवसीय शृंखला में उससे कोई उम्मीद नहीं जागती।

भारतीय टीम एशिया से बाहर पिछले सात एकदिवसीय मैच हारने के बाद इंग्लैंड का सामना करने जा रही है। पिछली असफलताओं में भारतीय गेंदबाजों से कहीं ज्यादा बल्लेबाजों का प्रदर्शन चिंता का विषय रही, जिससे भारतीय टीम अभी भी उबर नहीं पाई है।

चैम्पियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने के बाद रोहित शर्मा और शिखर धवन की सलामी जोड़ी फॉर्म हासिल करने के लिए जूझ रही है। गेंदबाजों भुवनेश्वर कुमार और रविचंद्रन अश्विन ने जरूर सभी प्रारूपों में गेंद के साथ-साथ बल्ले से बेहतरीन योगदान दिया है।

लॉर्ड्स टेस्ट तक आलोचकों की तीर का निशाना जहां इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक थे, वह तीर अब धोनी की तरफ मुड़ चुका है। धोनी पर एकदिवसीय के लिए टीम चयन मुख्य चुनौती रहेगी। देखना होगा कि वह अनुभव को तरजीह देते हैं या युवा ऊर्जा पर।

टेस्ट सीरीज में बेहद खराब दौर से गुजरने के बाद काउंटी क्लब मिडिलसेक्स के खिलाफ अभ्यास मैच में 71 रनों की पारी खेलकर विराट कोहली ने फॉर्म में लौटने का संकेत तो दे दिया है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय गेंदबाजी आक्रमण के आगे उन पर अभी खुद को साबित करने का दबाव है। सुरेश रैना और रविंद्र जडेजा भी पिछले कई मैचों में अपनी भूमिकाओं से न्याय नहीं कर पाए हैं।

टेस्ट सीरीज में मिली हार के बाद टीम स्टाफ में तो आमूलचूल फेरबदल कर दिया गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि मौजूदा टीम को एकदिवसीय खेले काफी अरसा बीत चुका है।

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने नवंबर, 2013 में आखिरी बार कोई एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सीरीज जीती थी। वेस्टइंडीज के खिलाफ उस सीरीज के बाद भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ शृंखलाएं गंवाईं।

कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने एशिया कप में बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीमों को तो हराया, लेकिन श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाफ उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

रैना के नेतृत्व में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को एकदिवसीय सीरीज में हराया जरूर पर अपने से कमतर टीम के खिलाफ भी उसके बल्लेबाज संघर्ष करते ही नजर आए।

संजू सैमसन, स्टुअर्ट बिन्नी, धवल कुलकर्णी और कर्ण शर्मा जैसी युवा प्रतिभाओं के पास खुद को साबित करने के लिए यह बेहतरीन मौका हो सकता है। हालांकि इनमें से कौन अंतिम एकादश में जगह बना पाता है, यह धोनी के विवेक पर निर्भर करेगा।

टीमें -
भारत : महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान/विकेटकीपर), रोहित शर्मा, शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली, सुरेश रैना, अंबाती रायडू, संजू सैमसन, रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, स्टुअर्ट बिन्नी, धवल कुलकर्णी, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद समी, कर्ण शर्मा, मोहित शर्मा, उमेश यादव।

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इंग्लैंड : एलिस्टर कुक (कप्तान), गैरी बैलेंस, इयान बेल, जोस बटलर (विकेटकीपर), स्टीवेन फिन, हैरी गर्नी, इयान मॉर्गन, जोए रूट, मोइन अली, जेम्स एंडरसन, एलेक्स हेल्स, क्रिस जॉर्डन, क्रिस वोक्स, बेन स्टोक्स।