यह ख़बर 04 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

टी-20 विश्वकप के प्रारूप पर गौर करने की जरूरत : सुनील गावस्कर

खास बातें

  • टीम इंडिया द्वारा पांच में से चार मैच जीतने के बावजूद आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्वकप से बाहर होने पर टूर्नामेंट के प्रारूप को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
मुंबई:

टीम इंडिया द्वारा पांच में से चार मैच जीतने के बावजूद आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्वकप से बाहर होने पर टूर्नामेंट के प्रारूप को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है कि आईसीसी को इसके प्रारूप पर गौर करने की जरूरत है।

सुनील गावस्कर ने प्रारूप के संदर्भ में कहा, आईसीसी के प्रमुखों को साथ बैठकर विचार करने की जरूरत है। भारत ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका को एक रन से हराया, लेकिन वह बाहर हो गया। दूसरी तरफ, वेस्टइंडीज केवल दो मैच जीतने के बावजूद सेमीफाइनल में पहुंच गया। जब गावस्कर से यह पूछा गया कि क्या पहले के अंक लेकर अगले दौर में पहुंचना सही रहेगा, उन्होंने कहा, आपको याद रखना चाहिए कि इससे पहले जब भी कोई बदलाव हुआ, वह इस तरह से किया गया था, ताकि भारत जल्दी बाहर नहीं हो।

विश्वकप 2007 में जब भारत पहले दौर में ही बाहर हो गया था तो संबंधित पक्षों को भारी नुकसान हुआ था। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, इसके बाद यदि आप ग्रुप पर गौर करो तो भारत को ऐसे ग्रुप में रखा गया, जिसमें एक कमजोर टीम हो। ऐसा माना गया कि भारत कमजोर टीम को हरा देगा। गावस्कर इस तरह के टूर्नामेंट में दोनों मैच एक ही मैदान पर कराने के खिलाफ हैं।

कुछ पूर्व खिलाड़ी भले ही कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दोष दे रहे हैं, लेकिन गावस्कर का मानना है कि यह कप्तान बदलने का समय नहीं है। उन्होंने कहा, यह जरूरी नहीं है। मैं ऐसा नहीं मानता। कई अवसर ऐसे आए हैं, जब कप्तान बने रहे। महेला जयवर्धने श्रीलंका के 2007 में विश्वकप फाइनल में हार के बाद कप्तान बने रहे। मैं समझता हूं कि केवल भारत ऐसा देश है, जिसमें कप्तान को लेकर चर्चा होती है। भारत कप्तानों को लेकर संयम नहीं बरतता।

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गावस्कर ने कहा, कई बार लगता है कि आखिर कप्तान बनने का क्या फायदा, केवल खिलाड़ी के रूप में खेलना बेहतर है। हम अच्छा नहीं खेले, लेकिन इसके लिए केवल कप्तान को दोषी नहीं माना जा सकता। इसके कई कारण हैं। यह एथलेटिज्म से जुड़ा है, इसमें क्षेत्ररक्षण का पहलू है। सीमित ओवरों के मैच में प्रत्येक रन महत्व रखता है। धोनी कई युवा खिलाड़ियों की तुलना में बेहतर दौड़ लगाता है।