IndiavsNZ मैच रिपोर्ट : टीम इंडिया की जीत से जुड़ी 5 खास बातें और एक सवाल

IndiavsNZ मैच रिपोर्ट : टीम इंडिया की जीत से जुड़ी 5 खास बातें और एक सवाल

टीम इंडिया ने अपने 500वें टेस्‍ट में जीत हासिल की (एएफपी फोटो)

भारत में होने वाली किसी भी क्रिकेट सीरीज में मैच का एक टर्निंग पॉइंट होता है. टर्निंग पॉइंट... यानी गेंद मैच के किसी पॉइंट यानी किस समय से टर्न और बाउंस लेना शुरू कर रही है. कानपुर में भी यही हुआ. दूसरे दिन का वो सेशन इस लिहाज से टर्निंग पॉइंट था, जो बारिश की वजह से पूरा नहीं हो सका. उस आखिरी सेशन में गेंद ने बाउंस के साथ टर्न लेना शुरू किया था. इसके अलावा भी कुछ टर्निंग पॉइंट थे. (यह भी पढें, जब फिफ्टी पूरी करते ही तलवार की तरह बैट भांजने लगे रवींद्र जडेजा)

पहला दिन, दूसरा और तीसरा सेशन
पहले दिन 48 ओवर्स के बाद भारत का सिर्फ एक विकेट गिरा था. 150 रन हो चुके थे. लेकिन इसके बाद अचानक ऐसा कुछ हुआ कि भारत ने 23 रन पर सात विकेट खो दिए. यही मैच के दो मौकों में एक था, बल्कि सबसे अहम मौका था, जब मैच भारत के हाथ से निकलता दिख रहा था. आखिर भारत की पारी 318 पर खत्म हुई

दूसरा दिन, दूसरे विकेट की साझेदारी
न्यूजीलैंड के लिए टॉम लैथम और कप्तान केन विलियम्सन ने दूसरे विकेट के लिए 124 रन जोड़े. मैच पर हावी होने के न्यूजीलैंड को जो दो मौके मिले, उनमें यह दूसरा था. लेकिन अच्छी बात रही कि भारतीय गेंदबाजों ने ज्यादा तेजी से रन नहीं बनने दिए. इसलिए एक बार यह साझेदारी टूटी, तो सब भारत के नाम था.

तीसरा दिन, तीन घंटे में सफाया
दूसरे दिन बारिश से पहले मिले टर्न ने न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के मन में जो शंकाएं भरी थीं, उन्हें सच साबित करते हुए आए पहले तीन घंटे. लगभग इन तीन घंटों के खेल ने मैच का रुख तय कर दिया. इसमें अनिल कुंबले को भी श्रेय देना पड़ेगा, जिन्होंने सुबह-सुबह रवींद्र जडेजा और आर. अश्विन के साथ लंबा समय बिताया. उनकी लाइन-लेंथ पर काम किया. सबसे बड़े मैच विनर बॉलर का टीम का कोच होना मैच को पूरी तरह भारत की तरफ टर्न करने वाला साबित हुआ. न्यूजीलैंड की पारी 262 पर खत्म हुई. भारत को 56 रन की बढ़त मिली.

तीसरा दिन, चायकाल के बाद हमला
टी पर जाते हुए भारत का स्कोर 52 पर एक था. आने के बाद खासतौर पर मुरली विजय ने आक्रमण किया, वो भी स्वीप शॉट्स के साथ. करीब 11 ओवर्स में 50 रन जोड़ दिए. इसने भारत की लीड को तो बढ़ाया ही, न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को हताश भी किया. दूसरे विकेट के लिए विजय और चेतेश्वर पुजारा ने 133 रन जोड़े. इसके बाद चौथे दिन छठे विकेट के लिए भी रवींद्र जडेजा और रोहित शर्मा के बीच शतकीय साझेदारी हुई. लेकिन मैच का नतीजा तय करने वाली साझेदारी मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा की थी, जिसने न्यूजीलैंड गेंदबाजों और पूरी टीम को एक तरह से भरोसा दिला दिया कि अब उनके पास मैच में कुछ बचा नहीं है. चौथे दिन भारत ने पांच विकेट पर 377 रन बनाकर पारी घोषित की. न्यूजीलैंड के सामने लक्ष्य रखा 434 रन का.

जडेजा-अश्विन की साझेदारी
जब धीमा टर्न हो, उस वक्त रवींद्र जडेजा की गेंदबाजी अपना कमाल करती है. यह वो पहले भी साबित कर चुके हैं. बगैर फ्लाइट की तेज गेंद करना उनका स्टाइल है. ऐसे में स्लो टर्न में भी बल्लेबाज की उम्मीद से ज्यादा बाउंस उन्हें मिलता है. यह उन्होंने पहली पारी में दिखाया. अश्विन दुनिया के बेहतरीन ऑफ स्पिनर हैं. एक बार फिर साबित किया. दूसरी पारी में एक ओवर में दो विकेट लेकर न्यूजीलैंड के लिए मैच बचाने की उम्मीदों को भी उन्होंने खत्म किया. अश्विन को दूसरी पारी में छह विकेट मिले. एक और अच्छी बात रही.

अगर मैच ध्यान से देखा हो, तो भारत की बल्लेबाजी के दौरान अश्विन लगभग पूरा समय अनिल कुंबले के बगल वाली कुर्सी पर बैठे रहे. यह सिर्फ बैठना नहीं है. कुंबले से सीखने की लगातार कोशिश की ओर भी इशारा करता है. जब न्यूजीलैंड टीम की मानसिकता स्पिनर्स को खेलने की थी, तब मोहम्मद शमी के एक स्पैल ने कमाल किया. बेहतरीन गेंदबाजी का नमूना था शमी का वो स्पैल. दो विकेट लेकर उन्होंने अश्विन-जडेजा की साझेदारी में अपना नाम भी शामिल कराया. मैच में अश्विन को दल और जडेजा को छह विकेट मिले. न्यूजीलैंड की दूसरी पारी 236 पर खत्म हुई. भारत ने 197 रन से मैच जीता.

जीत के जश्‍न के बावजूद कुछ सवाल भी हैं..
कानपुर में जीत हासिल हो गई है. अब अगले टेस्ट की तैयारी है. लेकिन भारत को देखना पड़ेगा कि क्या चार गेंदबाजों से खेलना सही रणनीति है? पहले भी भारत को इसमें कामयाबी मिली है, लेकिन तब टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली हुआ करते थे. ये तीनों पार्ट टाइम से कहीं ज्यादा बेहतर गेंदबाज थे. अब इस टीम में पार्ट टाइम के नाम पर सिर्फ मुरली विजय हैं, जो पार्ट टाइमर ही लगते हैं. ऐसे में अगर पिच नहीं टूटती या न्यूजीलैंड के बल्लेबाज अड़ जाते हैं, तो भारत को एक गेंदबाज की कमी महसूस होगी. जरूरत है अश्विन को ऑलराउंडर मानने की, तभी उस मानसिकता से निकल सकते हैं कि एक बल्लेबाज कम है.


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