क्लार्क ने की संन्यास की घोषणा, पांचवें एशेज टेस्ट के बाद क्रिकेट को कहेंगे अलविदा

क्लार्क ने की संन्यास की घोषणा, पांचवें एशेज टेस्ट के बाद क्रिकेट को कहेंगे अलविदा

नाटिंघम:

चोटों से परेशान और फॉर्म हासिल करने के लिए जूझ रहे ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क ने शनिवार को घोषणा की कि वह चिर प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें और अंतिम एशेज मैच के बाद टेस्ट किकेट को अलविदा कह देंगे।

अपने करियर के दौरान पीठ और टखने की चोटों से परेशान रहे 34 साल के क्लार्क वनडे अंतररारष्ट्रीय और टी20 क्रिकेट से पहले ही संन्यास ले चुके हैं। इस साल की शुरुआत में भी उनकी सर्जरी हुई थी।

क्लार्क ने शनिवार को चौथे एशेज टेस्ट में इंग्लैंड के हाथों ऑस्ट्रेलिया की पारी और 78 रन की हार के बाद कहा, 'मेरे पास एक और टेस्ट बचा है और इसके बाद मेरे करियर का अंत होगा। मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले रहा हूं।'
आज की जीत ने इंग्लैंड को पांच मैचों की सीरीज में 3-1 की अजेय बढ़त दिला दी और उसने एक बार फिर एशेज पर कब्जा जमा लिया। पांचवां और अंतिम मैच 20 अगस्त से 'द ओवल' में खेला जाएगा और यह क्लार्क का 115वां टेस्ट होगा।

पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान भावुक हो उठे क्लार्क ने कहा, 'मैं द ओवल में अंतिम टेस्ट खेलना चाहता हूं और एक अंतिम बार मैदान पर उतरना चाहता हूं। आप कभी छोड़कर नहीं जाना चाहते। लेकिन पिछले 12 महीने में मेरा प्रदर्शन मुझे स्वीकार्य नहीं है।'

साल 2011 में रिकी पोंटिंग की जगह टीम की कमान संभालने वाले क्लार्क ने पिछले छह टेस्ट में अर्धशतक नहीं बनाया है, जो उस खिलाड़ी के लिए निराशाजनक आंकड़ा है जिसने कप्तान के रूप में अपने पहले 30 मैच में 12 शतक जड़े थे। इसके अलावा वह चिर प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के खिलाफ उसी की सरजमीं पर हार से भी निराश हैं, जिसमें से दो हार तो तीन दिन के भीतर मिली।

अपने करियर में 28 शतक जड़ने वाले क्लार्क ने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट एशेज से ही जुड़ा है। हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया, मैंने निश्चित तौर पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन हम टिक नहीं सके। यह अगली पीढ़ी का समय है।' क्लार्क ने 114 टेस्ट में अब क 49.30 की प्रभावी औसत के साथ 8628 रन बनाए हैं। उन्होंने 245 वनडे में भी 44.58 की औसत से 7981 रन बनाए हैं।

उन्होंने कहा, 'मैंने कल रात वापस लौटते समय फैसला किया। साथी लड़के हैरान थे, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने उम्मीद की थी कि मैं अभी यह फैसला करुंगा। मेरा सब कुछ खेल का है। मैं काफी स्मृतियां लेकर जाउंगा।' क्लार्क ने कहा, 'मैं बैठकर खिलाड़ियों को उत्साह बढ़ाने को लेकर उत्सुक हूं। यह सही समय है। उम्मीद करता हूं कि मैं माइक्रोफोन लेकर आपके साथ कमेंट्री बाक्स में बैठूंगा।'

क्लार्क ने स्वीकार किया कि उनके इस फैसले में खराब फॉर्म का भी हाथ है। उन्होंने कहा, 'मैंने हमेशा खुद को जवाबदेह माना है और मैं उस स्थिति के कहीं भी करीब नहीं हूं, जिसमें मुझे टीम की मोर्चे से अगुआई करने के लिए होना चाहिए।'

अपने करियर के दौरान पीठ की चोट से परेशान रहे क्लार्क ने इस साल ऑस्ट्रेलिया को पांचवां विश्व कप दिलाने के बाद वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों से संन्यास लिया। वह भी टी20 को लेकर काफी उत्सुक नहीं रहे और 2010 में सिर्फ 34 मैच खेलने के बाद उन्होंने इस प्रारूप को अलविदा कह दिया।

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क्लार्क ने कहा, 'संन्यास लेना सबसे कड़ा फैसला है। यह जाने का सही समय है। मैं काफी भाग्यशाली रहा जो 100 से ज्यादा टेस्ट खेल पाया।'