नई दिल्ली: फतुल्लाह टेस्ट शुरू होने से पहले कप्तान विराट कोहली आत्मविश्वास से लबालब नज़र आ रहे हैं। यह पहला मौका है जब विराट कोहली दौरे की शुरुआत एक टेस्ट कप्तान के तौर पर कर रहे हैं और हमेशा की तरह उनसे बड़ी उम्मीद की जा रही है। विराट कोहली खुद कहते हैं कि टीम की अगुआई करते वक्त वह और भी ज्यादा जिम्मेदारी से बल्लेबाजी करने लगते हैं। वह कहते हैं कि वह दूसरों को कुछ कहने से पहले खुद वैसा करके दिखाना चाहते हैं।
आंकड़े कोहली का कद विराट कर देते हैं। सिर्फ़ 33 टेस्ट के अपने करियर में विराट कोहली ने 10 शतक और 10 अर्द्धशतक लगाए हैं। 46.30 के औसत से खेलते हुए उन्होंने 59 पारियों में 2547 रन जोड़े हैं, जबकि कप्तान के तौर पर खेलते हुए विराट ने दो टेस्ट में तीन शतकीय पारियां खेली हैं।
दरअसल, विराट कोहली अपने जिस आक्रमक तेवर के लिए जाने जाते हैं, वह तेवर उनकी कप्तानी में भी नजर आता है। कई आलोचक उन्हें उनके इस तेवर को सवालों के साथ तौलते रहे हैं तो स्टीव वॉ जैसे कई दिग्गजों ने उन्हें और परिपक्व होने की सलाह भी दी है।
लेकिन विराट का अपना अलग अंदाज़ है। वह कहते हैं उन पर पहले से ही बहुत दबाव है। मैं अब और दबाव नहीं लेता हूं कि दूसरे मेरे बारे में क्या कह रहे हैं। वह कहते हैं कि बाहरी बातों से उन पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता।
विराट का यह आक्रामक तेवर फिलहाल बांग्लादेशी कप्तान मुश्फ़िकुर रहीम के लिए फ़िक्र की बात हो सकती है, लेकिन विराट के तेवर एक विज्ञापन की याद ज़रूर दिलाते हैं, जब तक बल्ला चल रहा है ठाट है।