यह ख़बर 04 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

TUCC: मुंबई ने चेन्नई को तीन विकेट से हराया

खास बातें

  • टीयूसीसी में मुंबई के सामने चेन्नई की चुनौती थी। दोनों ही टीमों की नज़र सेमीफ़ाइनल पर थी लेकिन मैच उतना सीधा−सपाट नहीं था। पूरे मुक़ाबले के दौरान पासा पलटता रहा और मुंबई ने तीन विकेट से जीत हासिल कर सेमीफ़ाइनल की उम्मीदें ज़िंदा रखीं।

टीयूसीसी में मुंबई के सामने चेन्नई की चुनौती थी। दोनों ही टीमों की नज़र सेमीफ़ाइनल पर थी लेकिन मैच उतना सीधा−सपाट नहीं था। पूरे मुक़ाबले के दौरान पासा पलटता रहा और मुंबई ने तीन विकेट से जीत हासिल कर सेमीफ़ाइनल की उम्मीदें ज़िंदा रखीं।

मद्रास यूनिवर्सिटी को मालूम था कि यह मैच बेहद अहम है। शायद दबाव का ही असर था कि सलामी जोड़ी जल्दी पैविलियन लौट गई। लेकिन तीसरे नंबर पर आए गोविंदराज दामोदरन ने तेज़ी से रन बटोरे। उनकी पारी में पांच चौक्के शामिल थे। लेकिन जैसे ही ख़तरा बढ़ने लगा केविन के ज़ोरदार कैच ने उनकी वापसी का इंतज़ाम कर दिया। हालात और बिगड़ गए 50 रन बनते बनते मद्रास की टीम के चार विकेट गिर चुके थे।

इसके बाद श्रीधर और मुरुगेसन ने मिलकर 80 रन जोड़े और टीम ने सौ का आंकड़ा पार किया।

बल्लेबाज़ों की हिम्मत क़ायम रही। अंतिम तीन ओवरों में टीम ने 34 रन बटोर लिए। मद्रास यूनिवर्सिटी ने आठ विकेट पर 150 रन बनाए।

करो या मरो के मुकाबले में सुमित गदीगांवकर और केविन डी एलमिडा ने मुंबई को जोरदार शुरुआत दी। पहले ओवर में कुल 11 रन बने। लेकिन दूसरे ही ओवर में मद्रास यूनिवर्सिटी के किरण कश्यप ने गदीगांवकर का विकेट झटक लिया। इसके बाद जयदीप प्रदेसी ने तेजी से रन जुटाने की कोशिश की और इसी कोशिश में वह श्रीधर की गेंद पर स्टंप हो गए। शशांक सिंह भी सस्ते में आउट हो गए। केविन डी अलमीडा और पंकज जायसवाल ने इसके बाद पारी को संभाला।

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जब मुंबई की टीम जीत की ओर बढ़ती दिखी तभी नौ गेंदों के अंदर चेन्नई ने तीन विकेट हासिल कर मुंबई को बैकफुट पर ला दिया। लेकिन, केविन डी अलमीडा ने जोरदार बल्लेबाज़ी ने मुंबई की उम्मीदों को जिंदा रखा और आखिरकार एक रोमांचक जीत के साथ मुंबई की टीम सेमीफ़ाइनल की होड़ में आ गई।