अफशां की वर्ल्ड कप डायरी : न्यूज़ीलैंड में टीम इंडिया को नहीं है 'एडवेंचर' की इजाज़त

ऑकलैंड है एडवेंचर स्पोर्टस की दुनिया

वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में अपने आख़िरी मैच के लिए भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड के शहर ऑकलैंड में है। न्यूज़ीलैंड में क्रिकेट की दीवानगी तो है ही, लेकिन हमेशा से यहां लोग एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए आते रहे हैं। पिछले दौरों पर टीम इंडिया के खिलाड़ी भी यहां के एडवेंचर-स्पोर्ट्स के क़ायल रहे हैं।

ऑकलैंड के स्काई-टावर की इसमें ख़ास भूमिका रही है। 328 मीटर ऊंचे इस टावर से आप यहां 80 किलोमीटर तक का नज़ारा देख सकते हैं। ये न्यूज़ीलैंड की सबसे ऊंची इमारत है और इसके ऊपर से जो नज़ारा दिखाई देता है उसे शब्दों में बयान करना मुमकिन नहीं। इसीलिए अकसर टूरिस्ट यहां आकर बंजी-जम्पिंग या स्काई-वॉक का लुत्फ़ उठाते हैं।

स्काई-वॉक की यादें:

यहां की स्काई-वॉक आपको टावर की बाउंड्री पर सिर्फ़ एक रस्सी से बंधे हुए, हवा में चलने का अनुभव देती है। 2010 के दौरा पर में भारतीय टीम के खिलाड़ी इसका लुत्फ़ उठा चुके हैं। सचिन तेंदुलकर के साथ हरभजन सिंह, युवराज सिंह, ज़हीर ख़ान और वीवीएस लक्ष्मण ने स्काई-वॉक का कभी ना भूलने वाला अनुभव हासिल किया था।

इस वॉक में पहले आपको टावर के 1.2 मीटर चौड़े प्लैटफॉर्म पर चलने की हिम्मत दी जाती है और फिर जैसे ही आप ये कर पाते हैं आपको अपने हाथ खुले छोड़, शरीर को पीछे ढीला छोड़ने को कहा जाता है। ये कारनामा करते हुए आज भी भारतीय क्रिकेटर्स की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं। पूर्व क्रिकेटर और एनडीटीवी एक्सपर्ट सुनील गावस्कर भी ऐसा कर चुके हैं।

इस बार नहीं है इजाज़त:

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इस बार टीम इंडिया का कोई भी खिलाड़ी आपको ये काम करता नज़र नहीं आएगा। बीसीसीआई के कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक़ जो खिलाड़ी वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रहे हैं उन्हें एडवेंचर स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने की इजाज़त नहीं है। लेकिन ये भ सच है कि अगर वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की विजय रथ ऐसे ही चलता रहा तो उसे ऐसे किसी भी एडवेंचर में हिस्सा ना ले पाने का अफ़सोस नहीं रहेगा।