युवराज सिंह ने अपना आखिरी वनडे मैच 11 दिसंबर 2013 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था...
खास बातें
- 2011 के वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने शानदार प्रदर्शन किया था
- युवराज सिंह ने आखिरी वनडे मैच 2013 में खेला था
- इंग्लैंड के खिलाफ हमेशा किया है शानदार प्रदर्शन
नई दिल्ली: युवराज सिंह, इस खिलाड़ी की जितनी तारीफ की जाए कम है. सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं एक फाइटर के रूप में भी. युवराज सिंह ने क्रिकेट प्रेमियों की दिल जीता. 2011 के वर्ल्ड कप में युवराज सिंह का शानदार प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है. युवराज सिंह के शानदार प्रदर्शन के वजह से 28 साल बाद भारत वर्ल्ड कप जीता था और युवराज सिंह मैन ऑफ़ द सीरीज जीते थे.
कैंसर के वजह से क्रिकेट रहना पड़ा दूर : युवराज सिंह जब अपने करियर के सबसे अच्छा फॉर्म में थे तब उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के वजह से क्रिकेट से कई महीने तक दूर रहना पड़ा. करीब ढाई महीने अमेरिका में इलाज़ के बाद जब भारत लौटे तब क्रिकेट की दुनिया उनके लिए बदल चुकी थी. टीम में उनकी जगह लेने वाले खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे सो युवराज को मौक़ा नहीं मिल रहा था. दूसरी ओर, युवराज सिंह को घरेलू क्रिकेट खेलते हुए अपने फॉर्म के साथ-साथ अपनी फिटनेस का भी प्रमाण देना था.
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युवराज ने आखिर वनडे मैच तीन साल पहले खेला था : कैंसर के बीमारी के बाद करीब एक साल के बाद युवराज सिंह का टीम में वापसी हुई. 11 सितंबर 2012 को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ टी-20 मैच खेला. इस मैच में युवराज ने 30 रन बनाए थे. करीब 20 महीने के बाद 30 दिसंबर 2012 को युवराज सिंह की वनडे टीम में वापसी हुई. फिर एक साल तक युवराज को टीम में जगह मिली. युवराज सिंह ने अपना आखिरी एकदिवसीय मैच 11 दिसंबर 2013 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था.
युवराज के काम आई सचिन की सलाह : युवराज सिंह जब ख़राब फॉर्म चल रह थे, तब उनके करियर को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे. एक बार खुद युवराज सिंह को लगा था कि हो सकता है टीम में उनका दोबारा चयन न हो लेकिन एक इंटरव्यू के दौरान युवराज सिंह ने बताया था कि सचिन तेंदुलकर की सलाह उन्हें आगे ले जाने के लिए मदद करती है. सचिन ने युवराज से कहा था कि भारत के लिए खेलना बहुत गौरव की बात है लेकिन क्रिकेट का हमेशा आनंद लें. सचिन का यह कहना था कि भारतीय टीम में चयन न होने को लेकर ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए. क्रिकेट का हमेशा लुत्फ उठाना चाहिए.
युवराज के चयन के पीछे यह हो सकती है वजह : युवराज सिंह ने इस साल रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने पांच मैच खेलते हुए 84 के औसत से 672 रन बनाए हैं जिसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल है. बड़ोदा के खिलाफ शानदार 260 रन युवराज का सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर है. 2014-15 सत्र में भी युवराज सिंह ने रणजी ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन किया था. सात मैच खेलते हुए करीब 56 के औसत से 671 रन बनाए थे जिसमें तीन शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं.
रोहित शर्मा के चोटिल होने से युवराज को मिला मौक़ा : अगर रोहित चोटिल नहीं होते तो हो सकता है कि तब भी युवराज को मौक़ा मिलता. पिछले कुछ मैचों से रोहित शर्मा फॉर्म में नहीं चल रहे हैं. हाल में ही में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज में रोहित शर्मा का प्रदर्शन काफी ख़राब था. रोहित पांच मैच खेलते हुए 24.6 के औसत से 123 रन बनाए थे. पांच मैचों में रोहित ने 14,15 13,11 ,70 रन बनाए थे. युवराज सिंह गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं जरुरत पड़ने पर कप्तान उनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
इंग्लैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन
युवराज सिंह के चयन के पीछे एक और वजह यह हो सकती है कि इंग्लैंड के खिलाफ उनका शानदार प्रदर्शन. इंग्लैंड के खिलाफ युवराज ने 34 मैच खेलते हुए करीब 49 के औसत से 1313 रन बनाए हैं जिसमें तीन शतक और सात अर्धशतक शामिल है. इंग्लैंड के खिलाफ कई मैचों में उन्होंने फिनिशर का रोल भी निभाया है.