यह ख़बर 10 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

अपेक्षाओं पर खरे उतरने के दबाव में सो नहीं पाते तेंदुलकर

खास बातें

  • अपनी अपेक्षाओं पर खरे उतरने और अपना स्तर बरकरार रखने के दबाव में सचिन तेंदुलकर अब भी रात को सो नहीं पाते हैं और इसी बेचैनी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं।
न्यूयॉर्क:

अपनी अपेक्षाओं पर खरे उतरने और अपना स्तर बरकरार रखने के दबाव में सचिन तेंदुलकर अब भी रात को सो नहीं पाते हैं और इसी बेचैनी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाते हैं। तेंदुलकर ने ‘टाइम’ मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहा, मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई सुबह रही होगी, जब मैंने महसूस किया हो कि मुझ पर यह जिम्मेदारी थी और मुझे उस अपेक्षा पर खरा उतरना था। मेरी नींद यह सोचकर उड़ जाती है कि मैं कैसे अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतर पाऊंगा। जो मानक मैंने तय किए हैं, उन पर कायम कैसे रह पाऊंगा।

उन्होंने कहा, मैं कैसा प्रदर्शन करूंगा, यह बेचैनी ही मुझसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराती है, जो अच्छा संकेत है। तेंदुलकर ने कहा कि वह अपने भविष्य के बारे में बहुत आगे की नहीं सोचते। उन्होंने कहा, मैं मैच दर मैच रणनीति बनाता हूं। मैं बहुत आगे की नहीं सोचता। मैंने कभी ऐसा नहीं किया। मैं ज्यादा से ज्यादा अगले टूर्नामेंट या शृंखला के बारे में सोचता हूं। मेरा भरोसा कदम दर कदम चलने पर है। मैं वृहद तस्वीर को ध्यान में नहीं रखता। इस अमेरिकी प्रकाशन ने इस सप्ताह आने वाले अंक के लिए तेंदुलकर का इंटरव्यू किया है।

तेंदुलकर, 2010 में 'टाइम्स' की दुनिया के सौ सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल थे। तेंदुलकर ने कहा कि अपने करियर की शुरुआत में मैच से पहली रात वह करवटें बदलते रहते थे। उन्होंने कहा, अब मुझे पता है कि यह स्वाभाविक है। मैं उठकर टीवी देखने या कुछ और करने लगता हूं। मेरा अवचेतन मानस इसी तरह से मैच के लिए खुद को तैयार करता है। यह खुद को जानने की बात है और अब मैं खुद को बेहतर समझता हूं।

क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड बनाए हैं। वह अंतरराष्ट्रीय शतकों का शतक बनाने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं। पिछले महीने उन्हें भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। देशवासियों से मिली बेपनाह मोहब्बत के बारे में तेंदुलकर ने कहा कि वह पूरा ध्यान अपने खेल पर लगाने में विश्वास करते हैं और बाकी खुद ब खुद होता है। उन्होंने कहा, स्कूली दिनों से मैंने ऐसा ही किया है। मैं जानता हूं कि मेरे कुछ कहने या करने का लोगों पर असर होगा। हर खिलाड़ी को अपना ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित रखना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति की ऊर्जा कई दिशाओं में भटकने लगे, तो नतीजे नहीं मिलते। तेंदुलकर ने कहा, मुझे पता होना चाहिए कि कब स्विच ऑन करना है और कब ऑफ। क्रिकेट सर्वोपरि है, बाकी सब गौण है। उन्होंने कहा कि उनके लिए अपने खेल का मजा लेना जरूरी है और कठिन दौर में वह खुद को यही समझाते हैं। उन्होंने कहा, मैदान के भीतर और बाहर बहुत कुछ होता है और कई बार आप अपने खेल का मजा लेना भूल जाते हैं। यह खराब दौर में होता है। चुनौतियां और कठिन दौर हमेशा रहता है, लेकिन मैं खुद को ही कहता हूं कि हर हाल में मुझे अपने खेल का मजा लेना है।

अपने इर्द-गिर्द बनने वाली मीडिया हाइप से कैसे निपटते हैं, इस बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने कहा कि जब वह मैदान पर होते हैं तो गेंद का सामना करने के लिए उनके पास आधा सेकंड या उससे भी कम होता है और ऐसे में वह यह नहीं सोच सकते कि अमुक व्यक्ति उनके बारे में क्या कह रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में मीडिया में गलाकाट स्पर्धा के कारण हाइप बनने लगी है।

उन्होंने कहा, पहले आप 10 शॉट खेले तो कुछ प्रतिक्रियाएं आती थीं, लेकिन आज एक शॉट पर 500 बयान आ जाते हैं। यह खिलाड़ी पर निर्भर करता है कि वह सबकी बात सुनना चाहता है या अपनी अंतरात्मा पर भरोसा करके फैसले लेना चाहता है। उन्होंने कहा, घर पर मेरा परिवार मीडिया कवरेज पर बात नहीं करता। इससे फायदा होता है, क्योंकि मैं अपने फैसले खुद कर पाता हूं, किसी का दबाव नहीं रहता।

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तेंदुलकर ने कहा कि वह शुरू से पूरा ध्यान खेल पर देना चाहते थे और इसके व्यावसायिक पहलू के बारे में सोचना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, मैं विज्ञापन शूटिंग करता हूं, लेकिन क्रिकेट से समझौता करके नहीं। मुझे कभी भी ऐसा नहीं लगा कि पैसा कमाने के लिए मुझे समझौता करना है।